
उत्तराखंड की पहली कौन बनेगा करोड़पति हॉट सीट विजेता बनीं दून की एंजल नैथानी
देहरादून की 11 वर्षीय एंजल नैथानी ने टीवी के लोकप्रिय क्विज शो कौन बनेगा करोड़पति सीजन-17 (Junior Special) में 12.5 लाख रुपये जीतकर सबको चौंका दिया।
सहस्त्रधारा रोड स्थित न्यू दून ब्लॉसम्स स्कूल की कक्षा 6 (डी सेक्शन) में पढ़ने वाली इस बालिका ने आत्मविश्वास और तेज़ बुद्धि से 12 सवालों के सही जवाब देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
उनकी चुलबुली बातें और हाजिर जवाबी से शो के होस्ट अमिताभ बच्चन भी बेहद प्रभावित हुए।
उत्तराखंड की पहली बेटी जिसने जीती KBC की हॉट सीट
एंजल नैथानी उत्तराखंड की पहली बेटी बनीं, जिन्होंने KBC Junior Special की हॉट सीट तक पहुंचकर 12.5 लाख रुपये जीते।
जब एंजल विजयी होकर देहरादून लौटीं, तो रायपुर रोड स्थित मालदेवता (केसरवासला) क्षेत्र में उनका भव्य स्वागत हुआ। परिजनों, पड़ोसियों और दोस्तों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया और मिठाइयों से खुशी साझा की।
एंजल के पिता मुकेश कुमार नैथानी उत्तराखंड सचिवालय के राज्य संपत्ति विभाग में मैनेजर हैं, जबकि मां प्रीति नैथानी गृहिणी हैं। परिवार मूल रूप से पौड़ी जिले का निवासी है।
दो साल की मेहनत लाई रंग
एंजल बीते दो वर्षों से लगातार इस शो की तैयारी में जुटी हुई थीं।
जब उनका चयन हुआ, तो पूरे परिवार में उल्लास छा गया। हॉट सीट तक पहुंचने से पहले उन्होंने ऑडिशन, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार जैसे कठिन चरणों को सफलतापूर्वक पार किया। उनका एपिसोड तीन और चार अक्तूबर को फिल्माया गया, जबकि 11 अक्तूबर को महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिन मनाया गया — और इस विशेष अवसर ने एपिसोड को और यादगार बना दिया।
संस्कृत गीत से जीत लिया अमिताभ बच्चन का दिल
एंजल ने शो के दौरान संस्कृत गीत सुनाकर अमिताभ बच्चन को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
जब उनकी मां प्रीति ने बताया कि बेटी ने आपके लिए कुछ तैयार किया है, तो अमिताभ ने तुरंत अनुमति दी।
जैसे ही एंजल ने गीत गाना शुरू किया, पूरा सेट तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
महानायक के चेहरे पर मुस्कान फैल गई और उन्होंने एंजल की प्रतिभा की खुलकर प्रशंसा की।
स्कूल की परंपरा बनी प्रेरणा
एंजल का यह संस्कृत गीत न्यू दून ब्लॉसम्स स्कूल में रोजाना होने वाली प्रार्थना सभा का हिस्सा है।
जब किसी छात्र का जन्मदिन होता है, तो पूरा स्कूल यही गीत गाता है। इसी परंपरा ने एंजल को यह गीत सिखाया और संस्कृत के प्रति उसकी रुचि जगाई।अंग्रेज़ी माध्यम के बावजूद संस्कृत पर ध्यान देना और संस्कृति को जीवित रखना स्कूल प्रबंधन की सराहनीय पहल है।
माता-पिता और स्कूल दोनों को जाता है श्रेय
एंजल की इस सफलता में माता-पिता के सहयोग और स्कूल के मार्गदर्शन की अहम भूमिका रही।पिता का अनुशासन, मां की प्रेरणा और शिक्षकों की मेहनत ने मिलकर इस छोटी सी उम्र में बड़ी उपलब्धि गढ़ी।आज एंजल नैथानी न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व और प्रेरणा की प्रतीक बन चुकी हैं।



