
विश्वविद्यालय के छात्रों का लिया सहारा

श्रीनगर का सहकारिता मेला अब अंतिम चरण में पहुंच गया है किंतु समापन से दो दिन पहले मुख्यमंत्री के भ्रमण के दिन भीड़ जुटने के लिए जो तरीका खोजा गया, उसके लिए एक अदद बड़े पुरस्कार की सिफारिश की जानी चाहिए। सहकारिता विभाग को शायद अंदेशा हो गया था कि मेले से दर्शक दूरी बना रहे हैं। लिहाजा सांस अटकनी स्वाभाविक थी। श्रीनगर वैसे भी विभागीय मंत्री का गृह क्षेत्र ठहरा। विभाग के साथ मंत्री की नाक का भी सवाल उत्पन्न हो गया। मेला वैसे 15 अक्टूबर तक चलेगा लेकिन शुरुआती दो दिन के बाद जिस तरह दर्शक जुटाने भारी लगने लगे तो आखिर उम्मीद जगी, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के छात्रों पर। ध्यान रहे यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है और राज्य सरकार के निर्देश मानने के लिए विवि प्रशासन बाध्य भी नहीं होता किंतु भलमनसाहत भी कोई चीज होती है, सो पौड़ी के जिला सहायक निबंधक सहकारी समिति ने फरियाद की विश्वविद्यालय प्रशासन से। विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू यानी अधिष्ठाता छात्र कल्याण से एक परिपत्र समस्त विभागाध्यक्षों, संकाय अध्यक्षों और चौरास परिसर निदेशक को भिजवाया गया कि 13 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सहकारिता मेले में भ्रमण के लिए आ रहे हैं, लिहाजा सभी छात्र छात्राओं को मेले में भेजें। इस समय विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर ओ पी गुसाईं हैं। अपने पत्र में डीएसडब्ल्यू ने कहा है कि अपने विभाग में अध्ययनरत छात्र छात्राओं का 13 अक्टूबर को भ्रमण सुनिश्चित करें। एक तरह से यह आग्रह नहीं बल्कि निर्देश था। बस इसी बात पर बबाल हो गया। सीएम का दौरा तो हो गया। सहकारिता मंत्री की लाज भी बच गई लेकिन अनेक सवाल व्यवस्था पर खड़े कर गई। जब दर्शक नहीं जुट रहे थे तो इतना लंबा मेला आयोजित करने की जरूरत ही क्या थी, क्या इस मद के लिए निर्धारित बजट ठिकाने लगाना था या 2027 के चुनाव के लिए क्षेत्र में पैठ बनानी थी अथवा कुछ और।
बहरहाल सहकारिता मेले में विश्वविद्यालय छात्र छात्राओं को भेजने से सहकारिता का कितना भला होगा अथवा छात्र छात्राएं कितने प्रभावित होंगे और शिक्षा ग्रहण करने के बाद कितने सहकारी उपक्रम स्थापित करेंगे, यह तो कोई भी दावा नहीं कर सकता लेकिन छात्र नेता डीएसडब्ल्यू के इस निर्देश के बाद गुस्से में जरूर हैं। श्रीनगर में डीएसडब्ल्यू का वह पत्र जंगल की आग की तरह वायरल हो रहा है और सहकारिता विभाग के जनता से सीधे संपर्क पर सवाल खड़े कर रहा है।
वैसे राजनीति जो न कराए, वह कम होता है किंतु इस मेले के बहाने कई लोगों के पत्ते खुल से गए हैं और शायद सीएम को भी भ्रमण के दौरान इस बात का आभास हो गया होगा। मेले में दर्शक जुटाने के लिए जब विवि छात्रों की ओर टकटकी लगानी पड़े, तो समझा जा सकता है कि विभाग की जमीनी हकीकत क्या होगी। राजनीति की इस लाचारी ने सिस्टम की पोल तो खोल ही दी है, बाकी अनुमान पाठक खुद लगा सकते हैं।



