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अष्टमी या नवमी? कन्या पूजन को लेकर कन्फ्यूजन खत्म, जानें शुभ तिथि

महागौरी पूजन और कन्या भोज का शुभ समय

शारदीय नवरात्रि 2025 : अष्टमी-नवमी की सही तिथि और कन्या पूजन का महत्व, जानें पूरी जानकारी

देहरादून, 28 सितंबर। शारदीय नवरात्रि का पर्व इस बार 22 सितंबर से आरंभ होकर 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समाप्त होगा। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार नवरात्र में एक तिथि दो दिन पड़ने से श्रद्धालुओं के बीच अष्टमी और नवमी पूजन को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। कोई 29 सितंबर को अष्टमी मान रहा है तो कोई 30 सितंबर को। आइए जानते हैं पंचांग अनुसार सही तिथियां, कन्या पूजन का शुभ समय और धार्मिक महत्व।

कब है अष्टमी और नवमी तिथि?

  •  पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का प्रारंभ 29 सितंबर शाम 4:32 बजे से होगा और यह 30 सितंबर शाम 6:07 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार नवरात्रि की अष्टमी 30 सितंबर 2025, मंगलवार को है।
  •  इसके बाद 30 सितंबर शाम 6:07 बजे से नवमी तिथि का आरंभ होगा, जो 1 अक्टूबर शाम 7:02 बजे तक रहेगी। अतः नवमी पूजन 1 अक्टूबर को किया जाएगा।

कन्या पूजन कब करें?

  • हिंदू परंपरा में कन्या पूजन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि नव कुंवारी कन्याओं में स्वयं मां दुर्गा का वास होता है।
  • जो श्रद्धालु अष्टमी पूजन करना चाहते हैं, वे 30 सितंबर को कन्या पूजन करें।
  • महाष्टमी पर कन्या पूजन का पहला शुभ मुहूर्त 30 सितंबर की सुबह 5:01 बजे से लेकर सुबह 6:13 बजे तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
  • वहीं जो नवमी पूजन करते हैं, वे 1 अक्टूबर को कन्या पूजन करें।

महाअष्टमी का महत्व

अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार—

“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

माना जाता है कि महागौरी ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया। गंगा स्नान के पश्चात उनका रूप अत्यंत गौरवर्ण और दिव्य हो गया। इसी स्वरूप की पूजा अष्टमी को की जाती है। इस दिन भक्तजन उपवास, हवन और कन्या पूजन कर व्रत का पारण करते हैं।

महानवमी का महत्व

नवमी को भी कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त आदि शक्ति के अंतिम रूप सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। मान्यता है कि नवमी के दिन कन्या पूजन और भंडारा कराने से मां दुर्गा असीम कृपा बरसाती हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

दशहरा कब है?

नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के पर्व के साथ होगा। यह दिन भगवान श्रीराम की रावण पर विजय और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।

निष्कर्ष यह कि इस बार अष्टमी 29 सितंबर, नवमी 1 अक्टूबर और दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। श्रद्धालु अपनी परंपरा और श्रद्धा के अनुसार अष्टमी या नवमी में कन्या पूजन कर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

 

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