उत्तराखंड

एक सप्ताह में देने होंगे सभी दस्तावेज

महिला आयोग की अध्यक्ष ने अगली सुनवाई में "नारी सर्वे" शोध टीम व प्रबंध निदेशक को तलब

अगली  सुनवाई 15 को, मांगे “नारी सर्वे” से जुड़े मिनट्स

देहरादून, 8 सितंबर 2025 : देवभूमि उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून को पीवैल्यू एनालिटिक्स कम्पनी द्वारा राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट (एनएआरआई-2025) में महिलाओं के लिए असुरक्षित शहर बताने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग ने कंपनी को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि एक सप्ताह के भीतर सर्वे से संबंधित सभी दस्तावेज, मीटिंग मिनट्स और सवालों के जवाब आयोग को सौंपे जाएं।

कंपनी प्रतिनिधि आयोग के सवालों पर असफल

राज्य महिला आयोग में सोमवार को कंपनी की ओर से मयंक ढैया उपस्थित हुए। उन्होंने रिपोर्ट पर खेद जताते हुए इसे ‘एकेडमिक रिसर्च’ बताया और कहा कि किसी शहर की छवि को धूमिल करना उद्देश्य नहीं था। लेकिन आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल व पैनल द्वारा पूछे गए सवालों पर वह कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।

“नारी सर्वे” की विश्वसनीयता पर सवाल

कंपनी की रिपोर्ट में जारी “नारी सर्वे” (National Annual Report & Index – NARI 2025) के आधार पर देहरादून को असुरक्षित शहर बताया गया था। लेकिन आयोग ने साफ कहा कि यह सर्वे अधूरा और संदिग्ध है। इसमें शामिल महिलाओं की श्रेणी (वर्किंग/हाउसवाइफ) का उल्लेख नहीं, टेलीफोनिक सर्वे के सवालों की सूची भी सार्वजनिक नहीं की गई और एकेडमिक मानकों का पालन अधूरा रहा। ऐसे में आयोग ने इस रिपोर्ट को पारदर्शी व प्रमाणिक न मानते हुए कंपनी से जवाब तलब किया है।

अगली सुनवाई पर शोध दल और एमडी होंगे पेश

जानकारी के अभाव को देखते हुए आयोग अध्यक्ष ने नाराजगी जताई और अगली सुनवाई 15 सितंबर को तय की। इस दौरान कंपनी के प्रबंध निदेशक, रिसर्च टीम के प्रमुख इन्वेस्टिगेटर और सहायक इन्वेस्टिगेटर की मौजूदगी अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही वार्षिक रिपोर्ट, सर्वे से जुड़े सभी कागजात और मीटिंग मिनट्स आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।

रिपोर्ट में कई खामियां, आयोग ने उठाए सवाल

अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने स्पष्ट किया कि आयोग की टीम ने कंपनी की रिपोर्ट और इंडेक्स में कई खामियां पाई हैं।

  • सर्वे में शामिल महिलाओं की पहचान (वर्किंग/हाउसवाइफ) स्पष्ट नहीं है।
  • टेलीफोन सर्वे में पूछे गए प्रश्नों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई।
  • एकेडमिक रिसर्च के कई मानक अधूरे पाए गए।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं और यदि कंपनी अगली सुनवाई में संतोषजनक जवाब नहीं देती है तो कड़ी कार्रवाई की जायेगा।

 

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