
देहरादून। श्री महासू देवता मंदिर प्रबंधन समिति हनोल के हालिया निर्णय को लेकर जौनसार-बावर क्षेत्र में गहरी नाराजगी है। लोक पंचायत सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने समिति के विस्तारीकरण में सिर्फ बावर क्षेत्र की 11 खतों और बंगाण की तीन पट्टियों को शामिल करने का विरोध किया है। उनका कहना है कि महासू देवता पूरे जौनसार-बावर की 39 खतों, यमुना घाटी, फतह पर्वत, रंवाई-जौनपुर और हिमाचल के सिरमौर-शिमला जिले के भी आराध्य देवता हैं। ऐसे में समिति को सीमित क्षेत्रों तक बांधना उचित नहीं है।
लोक पंचायत ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सभी खतों से प्रतिनिधित्व की मांग की है। साथ ही आजीवन सदस्यता शुल्क एक लाख रुपये तय करने को अनुचित बताते हुए इसे निरस्त कर न्यूनतम 1100 रुपये करने तथा सामान्य सदस्यता शुल्क 100 रुपये रखने की मांग रखी है।
समाजसेवी आनंद चौहान ने भी सोशल मीडिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मंदिर समिति में राजनीति नहीं होनी चाहिए। परंपरागत व्यवस्था के अनुसार नौ हक-हकूकधारी और कारिंदों के अधिकार सुरक्षित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि देवता को क्षेत्रीय सीमा में बांधने का प्रयास श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाएगा। स्थानीय लोगों ने समिति से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है।