
नैनीताल : उत्तराखंड में प्रस्तावित पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को एक बार फिर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि पंचायत चुनाव पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ही कराए जाएं और किसी भी तरह के उल्लंघन को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने इससे पहले 11 जुलाई को आए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रत्याशी का नाम दो अलग-अलग विधानसभा या ग्राम पंचायत क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज है, तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
कोई रोक नहीं, पर नियमों से समझौता भी नहीं
हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि पंचायत चुनावों पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। चुनाव प्रक्रिया अपने समय पर जारी रहेगी, लेकिन प्रत्याशियों की योग्यता के मामले में नियमों से कोई समझौता नहीं होगा।
आपत्ति चुनाव के बाद भी संभव
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रत्याशी के दोहरे मतदाता होने पर आपत्ति है, तो वह चुनाव के बाद भी याचिका दाखिल कर सकता है। इससे स्पष्ट है कि अदालत ने पीड़ित व्यक्तियों को न्याय का विकल्प खुला रखा है।
आयोग पर टिकी निगाहें
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के इन निर्देशों के बाद दोहरे वोटर वाले प्रत्याशियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है। आयोग पर पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने का भारी दबाव है।
कोर्ट का रुख सख्त
पंचायती राज अधिनियम का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कोर्ट का रुख शुरू से ही सख्त रहा है। अब जबकि कोर्ट ने फिर दोहराया है कि एक व्यक्ति दो जगह वोटर नहीं हो सकता, तो आयोग को हर प्रत्याशी की जांच गंभीरता से करनी होगी।