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देहरादून |

उत्तराखंड की राजधानी को लेकर चल रही बहस में अब न्यायपालिका की सीधी और सख्त टिप्पणी सामने आई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश राकेश थपलियाल की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें वे गैरसैंण को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं “गैरसैंण को लेकर लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करो।”

गैरसैंण: 8000 करोड़ की संपत्ति, फिर भी ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं’?

हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान जस्टिस थपलियाल ने तल्ख लहजे में कहा  “8000 करोड़ की प्रॉपर्टी खड़ी कर दी गई है गैरसैंण में, और अब कहते हो कि वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है? यह जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।”

उनकी यह टिप्पणी राज्य सरकार की उस दलील पर आई जिसमें कहा गया था कि गैरसैंण को राजधानी बनाने में अभी बुनियादी ढांचे की कमी है।

राजधानी के सवाल पर फिर गरमाई बहस

राज्य गठन के 25 साल बाद भी उत्तराखंड की स्थायी राजधानी तय नहीं हो सकी है। गैरसैंण को 2020 में ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था, लेकिन प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र अब भी देहरादून ही बना हुआ है। हाईकोर्ट की टिप्पणी ने सरकार की नीयत और गैरसैंण को लेकर उठाए गए आधे-अधूरे कदमों को कठघरे में ला खड़ा किया है।

अदालत ने सरकार से मांगा स्पष्ट जवाब

हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा है कि अगर गैरसैंण में इतनी बड़ी निवेश और संपत्ति पहले से मौजूद है, तो उसे पूर्ण राजधानी बनाने से किसने रोका?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि वह गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर राज्य सरकार की नीतियों की गहराई से समीक्षा कर सकती है।

सोशल मीडिया पर चर्चा

वायरल वीडियो पर लोग पूछ रहे हैं “अगर हाईकोर्ट को गैरसैंण में संभावना दिखती है तो सरकार क्यों पीछे हट रही है?” सोशल मीडिया पर जज थपलियाल के बयान को व्यापक समर्थन मिल रहा है।

उत्तराखंड की राजधानी को लेकर सालों से चल रही असमंजस की स्थिति में हाईकोर्ट की यह टिप्पणी निश्चित तौर पर एक बड़ा घटनाक्रम है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस आलोचना के बाद क्या रुख अपनाती है।

क्या गैरसैंण अब सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बनेगा? जनता, न्यायपालिका और राजनीतिक इच्छाशक्ति – तीनों की नजरें इसी सवाल पर टिकी हैं।

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