जाने कौन था कालनेमि जिसको लेकर सरकार चल रही है ऑपरेशन
राक्षस कालनेमि: रामायण का एक कपटी योद्धा, जो छल से राम का रास्ता रोकना चाहता था

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नई दिल्ली, 14 जुलाई —
रामायण की महागाथा में राक्षसों की एक लंबी कतार है, लेकिन कुछ राक्षस सिर्फ बल से नहीं, बल्कि छल-कपट से भी लड़ते थे। उन्हीं में से एक था — राक्षस कालनेमि, जो लंका नरेश रावण का विश्वसनीय अनुचर था। कालनेमि का जिक्र रामकथा के कई संस्करणों में आता है, और वह हनुमान के वीरता की एक अनूठी परीक्षा बनकर उभरता है।
कौन था कालनेमि
कालनेमि एक मायावी राक्षस था जिसे रावण ने राम के अनुयायी हनुमान को रास्ते से भटकाने और मारने के लिए भेजा था। युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए और उन्हें संजीवनी बूटी लाने की आवश्यकता पड़ी, तब हनुमान हिमालय की ओर उड़े।
रावण को जब पता चला कि हनुमान संजीवनी लेने जा रहे हैं, तब उसने कालनेमि को भेजा ताकि वह हनुमान को रास्ते में ही रोक दे।
कालनेमि की चालाकी
कालनेमि ने एक ऋषि का वेष धरकर रास्ते में एक सुंदर आश्रम बनाया। जैसे ही हनुमान वहाँ पहुंचे, कालनेमि ने उन्हें भ्रमित करने के लिए पूजा-पाठ, सेवा और जलपान का नाटक किया। परंतु हनुमान की बुद्धि तेज थी — उन्होंने छल की गंध महसूस की।
कथा अनुसार, कालनेमि ने जल में एक मगरमच्छ (वास्तव में एक अप्सरा, श्रापग्रस्त) भी भेजा, जिसने हनुमान को डुबाने की कोशिश की। मगर जब हनुमान ने मगर को मारा, तब वह रूप बदल कर अप्सरा बन गई और उसने सारा रहस्य खोल दिया।
जैसे ही हनुमान को सच्चाई का पता चला, उन्होंने राक्षस कालनेमि को चेतावनी दी, लेकिन जब कालनेमि ने स्वीकार करने से इनकार किया, तो हनुमान ने उसे वहीं मार डाला और संजीवनी बूटी लेने रवाना हो गए।
रामायण में कालनेमि का संदेश
कालनेमि जैसे पात्र हमें यह सिखाते हैं कि धर्म के मार्ग में बाधाएँ सिर्फ बाहरी नहीं होतीं, वे भीतर से भी छल का रूप ले सकती हैं। लेकिन जब लक्ष्य सच्चा हो और मनोबल अडिग हो, तो हर छल का अंत निश्चित होता है।