
देहरादून आपदा प्रबंधन पर मंत्री–अफसर तनातनी: राजनीति और प्रशासनिक हनक का टकराव
देहरादून। राजधानी देहरादून में आपदा प्रबंधन के बीच सामने आया एक वीडियो न केवल प्रशासनिक कार्यशैली, बल्कि सत्ता और नौकरशाही के रिश्तों की झलक भी दिखाता है। वीडियो में मसूरी क्षेत्र के विधायक काबीना मंत्री गणेश जोशी और जिलाधिकारी सविन बंसल आमने–सामने दिखाई दे रहे हैं। मंत्री तल्ख लहजे में जिलाधिकारी से सवाल करते हैं कि “आप यहां क्यों आ गए? आपको तो रुकने के लिए कहा था।”
जिलाधिकारी अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए हाथ जोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। इससे पहले भी मुलाकात के समय उन्होंने मंत्री जी को हाथ जोड़कर अभिवादन किया था। बावजूद इसके, मंत्री महोदय बीच सड़क बिफर गए। जनता की सेवा में जुटे अफसर पर इस तरह मंत्री की नाराजगी कई लोगों को नागवार गुजरी।
मंत्री गणेश जोशी का यह कहना कि “चीफ सेक्रेटरी ने फोन उठा लिया, मंडलायुक्त विनय शंकर ने फोन उठा लिया…” सीधे तौर पर यह संदेश देता है कि उनकी अपेक्षाएं किस प्रकार हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक यह घटनाक्रम केवल एक मंत्री और अफसर के बीच का व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि यह सत्ता और प्रशासन के रिश्तों की जटिलता को भी सामने लाता है।
आपदा बनाम राजनीति – जब पूरा जिला आपदा से जूझ रहा है, तब राजनीतिक संदेश देने की यह शैली जनमानस में सवाल खड़े करती है।
अफसरशाही की स्थिति – जिलाधिकारी बंसल का संयमित रवैया इस बात का संकेत है कि अफसरशाही को राजनीतिक दबाव के बीच अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है।
स्थानीय शक्ति समीकरण – मसूरी क्षेत्र से विधायक होने के नाते जोशी का गुस्सा यह दिखाता है कि वे अपने इलाके में प्रशासनिक सक्रियता को अपने प्रभाव से जोड़कर देखते हैं।
जनता की दृष्टि – प्रभावित लोग उम्मीद करते हैं कि राजनीति से ऊपर उठकर राहत–बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन ऐसे विवाद से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।
राजनीति के गलियारों में यह घटना चर्चा का विषय बन गई है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आपदा प्रबंधन जैसे संवेदनशील मौके पर नेताओं और अधिकारियों को टकराव से बचते हुए जनता के बीच सामंजस्य और विश्वास का संदेश नहीं देना चाहिए?