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नो हेलमेट, नो फ्यूल : सड़क सुरक्षा पर सख़्ती

यूपी में हेलमेट नियम पर कड़ाई, उत्तराखंड में अब भी लापरवाही

उत्तराखंड में दोपहिया में पीछे बैठे सवार तो कभी दिखते ही नहीं हेलमेट पहने

लखनऊ/देहरादून। उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। 1 सितंबर से 30 सितंबर तक प्रदेशभर में “नो हेलमेट, नो फ्यूल” अभियान चल रहा है। नियम साफ है — बिना हेलमेट पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं मिलेगा। जिलों में सड़क सुरक्षा समितियाँ, पुलिस और परिवहन विभाग की टीमें पेट्रोल पंपों पर निगरानी कर रही हैं। पेट्रोल डीलरों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि नियम तोड़ने वालों को ईंधन न दें।

सरकार का मक़सद सिर्फ चालान काटना नहीं बल्कि लोगों को यह समझाना है कि हेलमेट जीवन रक्षा कवच है। सड़क हादसों में सिर की चोट मौत का सबसे बड़ा कारण है, जिसे केवल हेलमेट से रोका जा सकता है।

उत्तराखंड : नियम कड़ा, पालन बेहद ढीला

उत्तराखंड में पहले ही नियम बना हुआ है कि चालक और पीछे बैठने वाला दोनों हेलमेट पहनें। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।

  • देहरादून की सड़कों पर पीछे बैठे व्यक्ति को हेलमेट पहने हुए शायद ही कभी देखा जाता है।
  • आगे चलने वालों में भी मुश्किल से 40% लोग ही हेलमेट पहनते हैं, 60% खुलेआम बिना हेलमेट घूमते हैं।
  • राजपुर रोड, घंटाघर, बल्लूपुर चौक और हरिद्वार रोड जैसे मुख्य मार्गों पर रोज़ाना हजारों दोपहिया नज़र आते हैं, मगर पीछे वाले सवार का हेलमेट तो लगभग गायब ही होता है।

मौतों और हादसों के चौंकाने वाले आंकड़े

  • पूरे देश में दोपहिया सवारों की मौतों का लगभग एक तिहाई कारण सिर्फ हेलमेट न पहनना है।
  • साल 2023 में 54 हज़ार से अधिक लोगों की मौत बिना हेलमेट के सड़क हादसों में हुई।
  • उत्तराखंड में औसतन हर दिन 4 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें लगभग 3 लोगों की मौत और 5 लोग घायल होते हैं।
  • वर्ष 2024 में राज्य में करीब 30 हज़ार मौतें सड़क दुर्घटनाओं में दर्ज की गईं, जिनमें बड़ी संख्या उन लोगों की थी जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना था।

चालान और वसूली : नाममात्र की कार्रवाई

नियम के मुताबिक बिना हेलमेट पीछे बैठने पर ₹1,000 और दोनों बिना हेलमेट होने पर ₹2,000 का चालान होना चाहिए। लेकिन देहरादून में चेकिंग इतनी ढीली है कि चालान गिनती के निकलते हैं, जबकि बिना हेलमेट घूमने वालों की संख्या हजारों में है।

चौराहों पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी कई बार अनदेखा कर देते हैं। यही वजह है कि लोग नियमों को गंभीरता से नहीं लेते।

नकली हेलमेट का ख़तरा

सड़क पर बिकने वाले सस्ते, नकली और घटिया क्वालिटी के हेलमेट किसी दुर्घटना में बिल्कुल काम नहीं आते। इन पर भी प्रशासन की पकड़ कमजोर है।

आगे की तैयारी: ABS अनिवार्य

केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि 1 जनवरी 2026 से 50cc से ऊपर की सभी नई दोपहिया गाड़ियों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अनिवार्य होगा। इससे अचानक ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने की संभावना कम होगी और हादसों में कमी आएगी।

मुख्य प्रावधान एक नज़र में

  • चालक और पीछे बैठने वाले दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य।
  • पीछे वाले बिना हेलमेट पकड़े जाने पर ₹1,000 जुर्माना।
  • दोनों बिना हेलमेट होने पर ₹2,000 जुर्माना और वाहन जब्त।
  • हेलमेट पर लाल रिफ्लेक्टिव पट्टी लगाना ज़रूरी।
  • ISI मार्क (IS 4151) वाला हेलमेट ही मान्य।
  • नकली/घटिया हेलमेट बेचने या पहनने पर कार्रवाई।
  • 1 जनवरी 2026 से सभी 50cc से ऊपर की नई गाड़ियों में ABS अनिवार्य।

उत्तराखंड को अब सख़्ती दिखानी होगी

यूपी ने “नो हेलमेट, नो फ्यूल” लागू कर उदाहरण पेश किया है। उत्तराखंड में भी नियम तो हैं, लेकिन धरातल पर उनका पालन न के बराबर है।

पीछे बैठने वाले की सुरक्षा पर तो ध्यान ही नहीं दिया जाता और आगे वाले भी 60% तक नियम तोड़ते हैं।

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सिर्फ़ कागज़ों पर संतोष करेगा या सचमुच सड़कों पर उतरकर लोगों की जान बचाएगा?

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