धर्म

कान्हा के मनपसंद 7 भोग, जो देते हैं छप्पन भोग जितना फल

जन्माष्टमी स्पेशल

आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों से लेकर घर-घर तक कान्हा की झांकियां सजाई जा रही हैं और भक्तजन रात्रि में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियों में व्यस्त हैं।

पूजा का समय और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त, 2025 को रात 11:49 बजे प्रारंभ होकर 16 अगस्त, 2025 को शाम 9:34 बजे तक रहेगी। जन्माष्टमी की सबसे शुभ पूजा का समय 16 अगस्त की आधी रात यानी 12:04 बजे से 12:47 बजे तक (निशीथ काल) है। इसी अवधि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा और कान्हा को झूला झुलाकर विशेष पूजन किया जाएगा।

छप्पन भोग की परंपरा क्यों?

मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर पूरे ब्रज को इंद्र के कोप से बचाया था, तब लगातार सात दिन तक वे स्वयं भोजन नहीं कर पाए। जब संकट टल गया, तो ब्रजवासियों ने कृतज्ञता जताने के लिए 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित किए। तभी से जन्माष्टमी पर छप्पन भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई। भक्त मानते हैं कि इस दिन छप्पन भोग अर्पित करने से सुख-समृद्धि और कृपा अपार मिलती है।

यदि छप्पन भोग संभव न हो तो

हर घर में 56 प्रकार का भोग बनाना संभव नहीं होता। ऐसे में शास्त्रों में यह बताया गया है कि यदि केवल कान्हा के प्रिय 7 भोग भी अर्पित किए जाएं तो वह छप्पन भोग के बराबर फल प्रदान करते हैं।

कान्हा के प्रिय 7 भोग 

  • माखन-मिश्री – कान्हा को सबसे प्रिय, घर का ताजा सफेद मक्खन और मिश्री अवश्य चढ़ाएं।
  • धनिया पंजीरी – प्रसाद में इसका विशेष महत्व है, यह ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक है।
  • पंचामृत जरूर बनाएं : जन्माष्टमी के दिन पंचामृत का भोग बनाना अनिवार्य माना जाता है। इसे पांच चीजों, गाय का दूध, दही, शहद, देसी घी और चीनी मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आप भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय तुलसी दल भी डाल सकती हैं।बिना तुलसी के कोई भी प्रसाद अधूरा माना जाता है।
  • शहद – जैसे जन्म के समय बच्चों को शहद चटाया जाता है, वैसे ही मध्यरात्रि जन्म के बाद कान्हा को शहद का भोग लगाया जाता है।
  • खीरा – यह भोग का हिस्सा माना जाता है, ठंडक और संतुलन का प्रतीक। इसके बिना भोग अधूरा माना जाता है। बहुत से स्थानों पर खीरे की नाल काटकर आधी रात में भगवान श्री कृष्ण का जन्म कराया जाता है।
  • ड्राई फ्रूट – काजू, बादाम, पिस्ता आदि का भोग समृद्धि का द्योतक।

इस तरह भक्तगण जन्माष्टमी पर यदि कान्हा को छप्पन भोग अर्पित नहीं कर सकते तो इन 7 विशेष भोगों का प्रसाद लगाकर भी उतना ही पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आज आधी रात को जब मंदिरों में “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” गूंजेगी, तो श्रद्धालु अपने लड्डू गोपाल को यही भोग लगाकर आशीर्वाद पाएंगे।

 

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