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धराली आपदा: बेटी की जिद बनी वरदान, बची जान

बीए ऑनर्स में एडमिशन के लिए देहरादून आई युवती माता पिता को भी लाई साथ

 

धराली में मलबे में दब गया घर, होटल और सेब का बागीचा 

देहरादून।कभी-कभी किस्मत हमारे लिए ऐसे रास्ते चुन लेती है, जिसकी हमें कल्पना भी नहीं होती। उत्तरकाशी के धराली की 18 वर्षीय जाहनवी पंवार की एक छोटी-सी जिद उसके परिवार के लिए वरदान बन गई। बीए ऑनर्स में एडमिशन के लिए देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी जाना था, और जाहनवी चाहती थी कि उसके मम्मी-पापा भी साथ चलें। बेटी का मन रखने के लिए वे देहरादून आ गए, और इसी दौरान धराली में आई भीषण आपदा ने उनका घर, 4 कमरों का होटल और सेब का बगीचा मलबे में बदल दिया। सब कुछ खो गया, लेकिन सबसे कीमती — जिंदगी — बच गई।

ग्राफिक एरा देगा पूरी शिक्षा निशुल्क

घटना की जानकारी मिलने पर ग्राफिक एरा ग्रुप के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने जाहनवी के पिता जय भगवान सिंह पंवार से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने जाहनवी की पूरी पढ़ाई निशुल्क करने की घोषणा करते हुए कहा कि अब किसी भी सेमेस्टर में उससे फीस नहीं ली जाएगी। डॉ. घनशाला ने यह भी आश्वासन दिया कि धराली आपदा से प्रभावित अन्य बच्चों की पढ़ाई में मदद के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।

आपदा पीड़ितों के साथ है ग्राफिक एरा

ग्राफिक एरा राज्य में हर आपदा की घड़ी में मददगार रहा है। जोशीमठ आपदा से प्रभावित कई छात्रों को बीटेक से लेकर पीएचडी तक निशुल्क शिक्षा दी जा रही है। इतना ही नहीं, रैणी (जोशीमठ) की आपदा में बेघर हुई एक वृद्धा के लिए ग्राफिक एरा ने नया मकान भी बनवाकर दिया। इस समय भी धराली आपदा पीड़ितों को हर संभव मदद भेजी जा रही है। राशन भेजा जा रहा है, खाने के पैकेट भेजे गए हैं। ग्राफिक एरा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम भी वहां आपदा पीड़ितों के इलाज में जुटी है।

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