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 “नया नटरवरलाल” गिरफ्तार: फर्जी देश का राजदूत बनाकर चला रहा था ठगी और हवाला का साम्राज्य

यूपी STF ने एक ऐसे शातिर ठग को गिरफ्तार किया है, जिसने देश-दुनिया के सबसे बड़े ठगों को भी पीछे छोड़ दिया है। खुद को काल्पनिक देश वेस्ट आर्कटिक का राजदूत बताने वाला हर्षवर्धन जैन न सिर्फ फर्जी दूतावास चला रहा था, बल्कि हवाला, ठगी और फर्जी दस्तावेजों के एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट को भी अंजाम दे रहा था।

उत्तर प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई ने ‘नटरवरलाल’ जैसे पुराने ठगों की याद ताजा कर दी है। लेकिन इस बार ठगी का पैमाना कहीं बड़ा और आधुनिक तकनीकों से लैस था।

फर्जी एंबेसी का खुलासा

गाजियाबाद के कविनगर स्थित कोठी नंबर KB-35 में ‘एंबेसी ऑफ वेस्ट आर्कटिक’ के नाम पर फर्जी दूतावास चल रहा था। कोठी के बाहर विदेशी झंडों से सजी महंगी गाड़ियां, सूटेड-बूटेड लोगों का आना-जाना और ब्रास बोर्ड पर उकेरा गया राजदूतावास का नाम—यह सब इतना विश्वसनीय लगता था कि स्थानीय लोग वर्षों से इसे असली दूतावास मानते रहे।

हकीकत तब सामने आई जब 22 जुलाई को STF की टीम ने कोठी पर छापेमारी की। यहां से हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया और रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए।

छापेमारी में बरामद हुए चौंकाने वाले सबूत

₹44.70 लाख नकद

विभिन्न देशों की करंसी

12 फर्जी पासपोर्ट

विदेश मंत्रालय की नकली मुहर लगे दस्तावेज

20 जोड़ी डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट्स

34 अलग-अलग फर्जी सील-मुहरें

12 महंगी घड़ियां

डिप्लोमेटिक आईडी, पैन, आधार, वोटर और प्रेस कार्ड

1 लैपटॉप, 1 मोबाइल फोन

ये सभी प्रमाण इस बात के गवाह हैं कि हर्षवर्धन एक बड़े हवाला और ठगी नेटवर्क का सरगना था।

फर्जी देश और फर्जी पद

हर्षवर्धन जैन खुद को न सिर्फ वेस्ट आर्कटिक का राजदूत बताता था, बल्कि सबोरगा, पौलविया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों के भी राजनयिक पदों पर होने का दावा करता था।

हकीकत में ये देश दुनिया के किसी भी आधिकारिक नक्शे पर मौजूद नहीं हैं। वेस्ट आर्कटिक वास्तव में एक एनजीओ है, लेकिन हर्षवर्धन ने इसका उपयोग एक फर्जी राष्ट्र के रूप में किया।

:झूठ, चकाचौंध और दबदबा

पुलिस के अनुसार, हर्षवर्धन जैन बेहद चालाकी से लोगों को फर्जी दूतावास के माहौल में बुलाकर उन्हें झांसे में लेता था।

वह अपने “डिप्लोमैटिक” प्रभाव का इस्तेमाल कर—

किसी को विदेश में नौकरी दिलवाने का झांसा,

किसी की ब्लैक मनी को व्हाइट कराने का वादा,

तो किसी को विदेशी ठेके दिलवाने की लालच देता था।

उसके पास प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे बड़े नेताओं के साथ मॉर्फ की गई तस्वीरें भी थीं, जिन्हें दिखाकर वह अपना प्रभाव और भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता था।

हवाला और शेल कंपनियों का रैकेट

हर्षवर्धन के नेटवर्क का असली मकसद था हवाला कारोबार। नोएडा STF को शेल कंपनियों के जरिए हवाला की सूचना मिली थी, जिससे जांच की शुरुआत हुई और गाजियाबाद की इस कोठी तक टीम पहुंची। कोठी में मिले दस्तावेजों और उपकरणों ने इस बात की पुष्टि की कि यह महज ठगी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का आर्थिक अपराध है।

शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि

हर्षवर्धन जैन कोई सामान्य ठग नहीं है। वह एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके पिता जेडी जैन गाजियाबाद के जैन रोलिंग मिल के मालिक रहे हैं। खुद हर्षवर्धन ने लंदन के कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज से एमबीए किया है।

बताया जाता है कि 2000 में उसकी मुलाकात चर्चित तांत्रिक चंद्रास्वामी से हुई, जिसने उसे हथियारों के डीलर अदनान खाशोगी और एहसान अली सैयद से मिलवाया। तभी से उसने फर्जी कंपनियां बनाकर “लाइजनिंग” का काम शुरू किया और दलाली के जरिए करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया।

STF की जांच जारी

STF ने चेतावनी दी है कि हर्षवर्धन जैन का नेटवर्क अभी और बड़ा हो सकता है। फर्जीवाड़े में उसके कई सहयोगियों के शामिल होने की आशंका है। पुलिस फिलहाल इस पूरे रैकेट की गहन जांच कर रही है और अंतरराष्ट्रीय एंगल की भी पड़ताल जारी है।

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