कर्मचारी को बिना नोटिस निकालना पड़ा हुंडई को भारी, सुप्रीम कोर्ट ने लाखों रुपये मुआवजे का आदेश दिया

हुंडई मोटर की सहायक कंपनी Hyundai Autoever Private Limited को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। अदालत ने कंपनी द्वारा एक कर्मचारी को बिना पूर्व सूचना नौकरी से निकाले जाने को अनुचित ठहराते हुए कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया और कंपनी को तीन महीने के भीतर पांच लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।
क्या है मामला
कंपनी ने 21 जनवरी 2021 को एक कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया था। कारण बताया गया—कर्मचारी की अनुपस्थिति और असहयोग। जबकि कर्मचारी का दावा था कि उसने कंपनी के साथ हुए गोपनीयता समझौते का उल्लंघन नहीं किया और नियमानुसार किसी भी गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया।
अदालत का सफर
कर्मचारी ने औद्योगिक विवाद अधिनियम (ID एक्ट) के तहत शिकायत दर्ज की।
Hyundai Autoever ने मध्यस्थता (arbitration) के लिए मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थ नियुक्त किया, लेकिन मध्यस्थता अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण समाप्त हो गई।
कंपनी ने बाद में अपने एग्रीमेंट की धारा 19 का हवाला देकर 14.02 लाख रुपये के भुगतान की शर्त जोड़ी।
कर्मचारी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए साफ कहा कि इस विवाद में मध्यस्थता नहीं की जा सकती क्योंकि यह श्रम कानून और कर्मचारी अधिकारों से जुड़ा मामला है। अदालत ने यह भी कहा कि:
“धारा 19 को लागू करना कंपनी की एक बाद में सोची गई रणनीति थी, जिसका कानूनी कोई आधार नहीं है।”
कंपनी को चेतावनी और आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना वैध कारण और प्रक्रिया के किसी भी कर्मचारी को हटाया जाना श्रम कानूनों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वह तीन महीने के भीतर कर्मचारी को पांच लाख रुपये का मुआवजा अदा करे।