राष्ट्रीय खेल : अरबों खर्च, वॉलंटियर्स को ठेंगा
टिहरी झील में वाटर स्पोर्ट्स, मुनि की रेती में हुई थी बीच वॉलीबाल प्रतियोगिताएं छह महीने बाद भी नहीं मिला मेहनताना, सरकारी आश्वासन बनकर रह गया ‘बजट की व्यवस्था’

उत्तराखंड को दिलाए मेडल, लेकिन आयोजन की रीढ़ रहे युवा रह गए उपेक्षित
जनवरी-फरवरी 2025 में हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों में अहम भूमिका निभाने वाले वॉलंटियर्स आज भी अपने मेहनताना का इंतजार कर रहे हैं। टिहरी झील और मुनिकीरेती में आयोजित वाटर स्पोर्ट्स और बीच वालीबॉल प्रतियोगिताओं के दौरान 50 से अधिक स्थानीय युवा वॉलंटियर के तौर पर तैनात किए गए थे, लेकिन छह महीने बीतने के बावजूद उन्हें अब तक प्रतिदिन के तय 500 रुपये की दर से मेहनताना नहीं मिला है।
वॉलंटियर दिव्यांशु रावत, सुजल रतूड़ी, कपिल नेगी, दीपक नेगी, सुमित कुमाईं और साहिल कुमार सहित अन्य युवाओं ने बताया कि उन्हें प्रतियोगिता खत्म होते ही भुगतान का वादा किया गया था। उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज करवाई। जवाब मिला कि खेल सचिवालय द्वारा बजट की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन भुगतान की कोई स्पष्ट समयसीमा तय नहीं की गई।
प्रशासन की सफाई, मगर समाधान अधूरा
इस बारे में जिला क्रीड़ाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि खेल सचिवालय द्वारा किसी एजेंसी के माध्यम से वॉलंटियर्स की सेवाएं ली गई थीं। उन्होंने कहा, “बजट की स्वीकृति भारत सरकार से लंबित है, डिमांड भेजी जा चुकी है। स्वीकृति मिलते ही भुगतान किया जाएगा।”
खेलों में जीते मेडल, पर वॉलंटियर्स रह गए उपेक्षित
वॉलंटियर्स का कहना है कि उत्तराखंड की टीमों ने इन खेलों में शानदार प्रदर्शन कर वाटर स्पोर्ट्स में कई पदक जीते, जिससे प्रदेश का नाम रोशन हुआ। ऐसे में अपेक्षा थी कि उन्हें न सिर्फ मेहनताना मिलेगा, बल्कि प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक उनकी मेहनत का हक भी नहीं मिला।