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प्रेम नगर में तुलसी–शालिग्राम विवाह का भव्य आयोजन

सनातन धर्म मंदिर में आज होगा वार्षिक ध्वजारोहण और भंडारे का आयोजन

सनातन धर्म मंदिर से निकली गई बारात पहुंची पिपलेश्वर महादेव मंदिर

तुलसी शालिगराम विवाह संपन्न, विदा होकर तुलसी जी पहुंची सनातन धर्म मंदिर 

भजनों की गूंज, झांकियों की झलक और श्रद्धालुओं की उमंग ने बनाया माहौल भक्तिमय

देहरादून। प्रेम नगर क्षेत्र रविवार शाम भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा, जब शालिग्राम भगवान और माता तुलसी का पावन विवाह वैदिक रीति-विधि के साथ संपन्न हुआ। यह भव्य धार्मिक आयोजन विंग नंबर दो, नेहरू पार्क स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर में संपन्न हुआ जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

शाम 7 बजे विंग नंबर-6 स्थित सनातन धर्म मंदिर से शालिग्राम भगवान की बारात ढोल-नगाड़ों, भजन-कीर्तन और जयकारों के साथ रवाना हुई। भक्ति में लीन श्रद्धालु नाचते-गाते हुए पिपलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे। मंदिर परिसर में रंग-बिरंगी रोशनी, पुष्प सजावट और वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

यहां बारातियों का स्वागत किया गया। फेरे के समय पूरे प्रांगण में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, तुलसी महारानी नमो नमः, हरि की पटरानी नमो नमः” जैसे भजनों की गूंज ने सभी को भावविभोर कर दिया। श्रद्धालु ऐसे थिरके मानो साक्षात बाराती बनकर भगवान के विवाह में सम्मिलित हों।

विवाह संस्कार को विधिपूर्वक संपन्न कराने में कन्या पक्ष की ओर से पंडित राजू ममगाई तथा वर पक्ष की ओर से पंडित कृष्ण प्रसाद जी का विशेष योगदान रहा। फेरे से लेकर आरती तक सभी विधि-विधान इन दोनों पंडितों की देखरेख में पूर्ण हुए।

विवाह उपरांत झांकियों का आयोजन और प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर धर्मलाभ प्राप्त किया।

इस अवसर पर सनातन धर्म मंदिर की ओर से प्रधान सुभाष माकिन, सुरेंद्र चावला, अनीता मल्होत्रा, अंजलि मल्होत्रा, अनीता मैनी, कांता चावला, संगीता भाटिया, मधु भाटिया सरिता ठाकुर, शिवानी भाटिया, रीना, बिंदु शर्मा, अनिका शर्मा, नीलिमा राठौर सहित अनेक श्रद्धालु सक्रिय रहे।

वहीं पिपलेश्वर महादेव मंदिर की ओर से पूजा दत्ता, रेनू  बाला, सरोज कांडपाल, डियर भाटिया, प्रदीप भाटिया, संजीव भाटिया, राकेश सचदेवा व ओम चावला और राजेश (टोनी) भाटिया , अधिक झा, शंभू भाटिया, नीलम खत्री, विकास, मीनू, काकू ने कन्या पक्ष का प्रतिनिधित्व किया और श्रद्धा एवं भक्ति के साथ विवाह संस्कार सम्पन्न कराया।

क्या है धार्मिक महत्त्व 

हिंदू परंपरा में तुलसी–शालिग्राम विवाह को देवताओं का पावन मिलन माना गया है। यह विवाह हर वर्ष देवउठनी एकादशी के बाद द्वादशी तिथि को संपन्न होता है, जो भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागरण का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता और शालिग्राम भगवान का विवाह करवाने से घर में सुख-समृद्धि, वैवाहिक सौहार्द और शुभता का वास होता है।

पूरे प्रेम नगर क्षेत्र में “जय तुलसी माता, जय शालिग्राम भगवान” के जयकारों से गूंजते इस आयोजन ने श्रद्धालुओं के हृदयों में भक्ति और आनंद की अविस्मरणीय छाप छोड़ दी।

 

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