
देहरादून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में घिर गया है। संस्थान में 2.73 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस प्रकरण में सीबीआई ने संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉ. राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह को आरोपी बनाया है।
सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने 26 मार्च को कार्डियोलॉजी विभाग में छापा मारकर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान यह सामने आया कि 16 बिस्तरों वाले कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) की निविदा फाइल गायब थी और यूनिट अधूरी तथा गैर-कार्यात्मक अवस्था में मिली। कई उपकरण या तो घटिया गुणवत्ता के थे या वहां मौजूद ही नहीं थे।
स्टॉक रजिस्टर में आयातित पैनल, मॉनिटर और एयर प्यूरीफायर दर्ज तो किए गए थे, लेकिन उनकी आपूर्ति कभी नहीं की गई। इसके बावजूद ठेकेदार कंपनी मेसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। सीबीआई ने इस पूरे मामले को सुनियोजित षड्यंत्र मानते हुए मुकदमा दर्ज किया है। संबंधित धाराओं के तहत सात से दस साल की कठोर सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
पहले भी हो चुके हैं घोटाले
एम्स ऋषिकेश में यह कोई पहला मामला नहीं है।
- वर्ष 2022 में स्वीपिंग मशीन और केमिस्ट स्टोर आवंटन में ₹4.41 करोड़ की हेराफेरी सामने आई थी।
- वर्ष 2023 में उपकरण खरीद में ₹6.57 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था।
दोनों मामलों में भी सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। अब नए मामले ने संस्थान की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।