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झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन, आदिवासी राजनीति के एक युग का अंत

तीन बार रहे झारखंड के मुख्यमंत्री, लंबे समय से थे बीमार

रांची/नई दिल्ली, 4 अगस्त : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और पिछले एक महीने से जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। लंबे समय से बीमार चल रहे दिशोम गुरु ने सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली। ब्रेन स्ट्रोक और पैरालिसिस के बाद उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी।

शिबू सोरेन न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक आंदोलन थे। आदिवासी अधिकारों की लड़ाई को उन्होंने जंगलों और पहाड़ों से उठाकर संसद के गलियारों तक पहुंचाया। झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल सोरेन ने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी और आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक हक की लड़ाई का नेतृत्व किया।

वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, हालांकि किसी भी बार उनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। साथ ही, केंद्र सरकार में कोयला मंत्री सहित कई अहम पदों पर भी रहे। पर उनकी पहचान सत्ता से अधिक संघर्ष की रही। जनता उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी जनजातीय समाज का गुरु कहकर पुकारती थी।

उनके निधन की खबर फैलते ही झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें “पिता ही नहीं, आंदोलन का आदर्श” बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रियंका गांधी सहित कई राष्ट्रीय नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया।

शिबू सोरेन का जीवनवृत्त साक्षी है कि किस तरह एक सामान्य किसान परिवार से आने वाला व्यक्ति जनआंदोलनों के माध्यम से पूरे राज्य का भाग्यविधाता बन सकता है। उनका जाना झारखंड ही नहीं, पूरे देश की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है।

 

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