गंगा-यमुना उफान पर, प्रयागराज, काशी समेत कई जिलों में हाहाकार
पूर्वी यूपी में बाढ़ से 13 जिलों में तबाही, सैकड़ों गांव जलमग्न, 5 लाख लोग बेघर

वाराणसी व प्रयागराज में घाट डूबे, चिताएं जलाने को जगह नहीं
लगातार हो रही बारिश से और गंभीर होंगे हालात, पीएम, सीएम दोनों रखे हुए हैं नज़र
वाराणसी/प्रयागराज, 4 अगस्त : उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, घाघरा और बेतवा नदियों के रौद्र रूप ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सबसे भयावह स्थिति प्रयागराज और वाराणसी में देखी जा रही है। घाट जलमग्न हो चुके हैं, नावों से रेस्क्यू चल रहा है और श्मशान घाटों पर चिताएं जलाने तक की जगह नहीं बची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के हालात पर चिंता जताते हुए अधिकारियों को राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
प्रयागराज के डूबे घाट, वाराणसी के जलते शव, और सैकड़ों गांवों की टूटी ज़िंदगी… यूपी की बाढ़ महज़ जलप्रलय नहीं, बल्कि प्रशासन, संसाधनों और मानवीय संवेदनाओं की कठिन परीक्षा बन गई है। गंगा और यमुना का उफान इस बार सिर्फ जल नहीं, चिंता, भय और बेबसी की लहरें भी बहा लाया है। प्रयागराज में हालात इतने गंभीर हैं कि घाट डूब चुके हैं, अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं बची है। लोग घरों की छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं, तो कई परिवार पूरी तरह उजड़ चुके हैं। राहत शिविरों में जगह कम पड़ रही है, संचार सेवा ठप है, और रात का अंधेरा लोगों के डर को और गहरा कर रहा है। यह सिर्फ बाढ़ नहीं, एक भयावह आपदा है — जहां प्रशासन की हर सांस लोगों को बचाने में लग रही है, और जनता हर पल उम्मीद और भय के बीच झूल रही है।
🔴 बाढ़ की भयावह स्थिति
श्रेणी विवरण
प्रभावित बस्तियां – 61 शहरी बस्तियां
प्रभावित गांव – 275 से अधिक
कुल प्रभावित लोग – 5 लाख से ज्यादा
बेघर हुए लोग लगभग – 80,000
सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए- 3,500+ लोग
राहत शिविरों की संख्या – 19
राहत शिविरों में शरण– 9,000 से अधिक लोग
राहत कार्यबल – NDRF, SDRF, जल पुलिस, PAC — कुल 600 जवान
तैनात नावें व स्टीमर – 250 नावें, 30 मोटर बोट व स्टीमर
संचार संकट – प्रयागराज में BSNL के 3 टावर ठप, मोबाइल सेवाएं बंद
गंगा का जलस्तर – (फाफामऊ) 85.44 मीटर (खतरे का निशान 84.73 मीटर से ऊपर)
यमुना का जलस्तर – (नैनी) 84.59 मीटर (खतरे का निशान 84.52 मीटर से ऊपर)
दोनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन हाई अलर्ट पर है।
वाराणसी: पहली बार नमो घाट बंद, मणिकर्णिका पर शवों की कतार
गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है। दशाश्वमेध, अस्सी और मणिकर्णिका घाट पूरी तरह डूब चुके हैं। पहली बार नमो घाट को बंद करना पड़ा। आरती स्थगित हो गई है और शवों को छतों व ऊंची जगहों पर जलाना पड़ रहा है। छतनाग, सलोरी, झूंसी, दारागंज, करेली और कीडगंज जैसे मोहल्लों में सड़कों पर नावें चल रही हैं।
बीएचयू ट्रॉमा सेंटर से बाढ़ का पानी महज 800 मीटर दूर पहुंच चुका है। प्रशासन ने सामनेघाट, शीतला घाट और अस्सी क्षेत्र खाली कराए हैं। मणिकर्णिका की तरह ही यहां झूंसी घाट पर भी चिताएं ऊंची जगहों पर जलाई जा रही हैं। बीएसएनएल के तीनों मोबाइल टावर बंद होने से संचार व्यवस्था ठप है। अब तक 180 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और 3,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
हमीरपुर: यमुना-बेतवा का प्रकोप, दो की मौत
बुंदेलखंड के हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदियों में उफान से 54 गांव जलमग्न हो गए हैं। सुमेरपुर में एक महिला और एक किशोर की डूबकर मौत हो चुकी है। प्रशासन ने एनडीआरएफ की टीमें तैनात की हैं और संवेदनशील इलाकों में विशेष निगरानी रखी जा रही है।
बलिया, गाजीपुर, मऊ: गंगा-घाघरा का फैलता असर
बलिया में बैरिया और दुबहड़ तहसील के कई गांव पानी में डूब चुके हैं। कई संपर्क मार्ग टूट गए हैं।गाजीपुर की सदर और जमानिया तहसील, और मऊ के कई इलाके गंगा और घाघरा की चपेट में हैं। खेतों में पानी भर गया है और कई जगह लोग घरों की छतों पर शरण ले रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित 13 ज़िले
प्रयागराज, वाराणसी, हमीरपुर, बलिया, गाजीपुर, मऊ, मिर्जापुर, जौनपुर, चित्रकूट, कौशांबी, बहराइच, बांदा और सीतापुर। इन जिलों के निचले इलाके जलमग्न हैं, स्कूल बंद हैं, और 78 राहत शिविरों में हजारों लोगों ने शरण ली है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपात निगरानी व्यवस्था लागू कर दी है। हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें राहत-बचाव में जुटी हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें डायरिया, स्किन इंफेक्शन और वायरल से निपटने के लिए मेडिकल वैन और विशेष कैंप चला रही हैं।
अगले 72 घंटे भरी बारिश के चेतावनी
मौसम विभाग और केंद्रीय जल आयोग ने अगले 72 घंटे के भीतर और बारिश की चेतावनी दी है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड में जलस्तर और बढ़ने की आशंका है।