चाय बागानों की भूमि परिवर्तन पर हाईकोर्ट सख्त
चाय बागानों की भूमि परिवर्तन पर हाईकोर्ट सख्त
नैनीताल/देहरादून, 12 जुलाई : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के प्रसिद्ध चाय बागानों की भूमि का स्वरूप बदलने को लेकर राज्य सरकार से सख्त रुख अपनाते हुए दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जानकारी मांगी है। यह निर्देश देहरादून निवासी देव आनंद द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने बुधवार को दिए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि देहरादून के विकासनगर क्षेत्र के वे चाय बागान, जिन्हें वर्ष 1953 से विशेष रूप से आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था, अब वहां गन्ना, खीरा, तरबूज जैसी मौसमी खेती की अनुमति दी जा रही है। इससे न केवल इन चाय बागानों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और कृषि धरोहर को भी क्षति पहुंच रही है।
हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या इन भूमि परिवर्तनों के लिए चाय विकास बोर्ड से पूर्व अनुमति ली गई थी या नहीं। साथ ही वर्ष 1953 के बाद लागू दिशा-निर्देशों और भूमि आरक्षण नियमों का पालन किया गया है या नहीं, इस पर स्पष्ट जानकारी मांगी गई है।
याचिकाकर्ता की मांग है कि चाय बागानों की भूमि का स्वरूप न बदला जाए और इसे राज्य की धरोहर के रूप में संरक्षित रखते हुए केवल चाय उत्पादन के लिए ही उपयोग में लाया जाए। साथ ही सरकार को इस दिशा में स्पष्ट नीति और दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए जाएं।
- अब इस मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।