देहरादून, 11 जुलाई:
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में बिना वैध पंजीकरण के चिकित्सा सेवा दे रहे डॉक्टरों पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि अब राज्य में कोई भी चिकित्सक बिना उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल (UKMC) में पंजीकरण के प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा।
स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, यह निर्णय प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और आमजन को अपंजीकृत व अवैध चिकित्सकों से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। यह भी कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख निर्देश:
- सभी चिकित्सकों का उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण अनिवार्य
- बिना पंजीकरण पाए जाने पर तत्काल सेवा निलंबन और जुर्माना या अन्य दंडात्मक कार्रवाई
- सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश
- निजी अस्पतालों, क्लीनिकों और मेडिकल संस्थानों को केवल पंजीकृत डॉक्टरों को ही नियुक्त करने को कहा गया है |
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अपंजीकृत डॉक्टरों द्वारा दी जा रही चिकित्सा सेवाएं न केवल अवैध हैं, बल्कि मरीजों के जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। हाल के निरीक्षणों में कई स्थानों पर ऐसे डॉक्टरों के प्रैक्टिस करने की पुष्टि हुई थी, जिनके पास न तो वैध डिग्री थी और न ही राज्य में कोई रजिस्ट्रेशन। सरकार ने आम नागरिकों से भी अनुरोध किया है कि वे इलाज कराते समय डॉक्टर का पंजीकरण नंबर अवश्य जांचें। वैध डॉक्टरों की सूची उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।