हाईकोर्ट ने एलयूसीसी घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी
खंडपीठ ने पीड़ितों से कहा—अपनी शिकायतें और दस्तावेज सीबीआई को दें

नैनीताल, 17 सितम्बर : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 800 करोड़ रुपये के चर्चित एलयूसीसी चिटफंड घोटाले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया।
सीबीआई ने जताई सहमति
सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता अदालत में पेश हुए और जांच की जिम्मेदारी लेने पर सहमति जताई। अदालत में सीबीआई की ओर से औपचारिक अनुमति पत्र भी प्रस्तुत किया गया।
पुलिस जांच पर उठे सवाल
मामले की अब तक की जांच पुलिस कर रही थी। पुलिस की ओर से अदालत को बताया गया कि अलग-अलग जिलों में कई मुकदमे दर्ज हैं और कुछ मामलों की जांच चल रही है।
हालांकि, पीड़ित पक्ष ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि अभी तक कई पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। जब तक मुकदमे दर्ज नहीं होंगे, तब तक जांच आगे बढ़ ही नहीं सकती।
अंततः खंडपीठ ने पूरा मामला सीबीआई को सौंपते हुए पीड़ितों से अपनी शिकायतें और संबंधित दस्तावेज सीधे सीबीआई को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
क्या है एलयूसीसी चिटफंड घोटाला?
- याचिकाकर्ताओं के अनुसार, वर्ष 2021 में एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने देहरादून, ऋषिकेश, पौड़ी सहित कई जिलों में दफ्तर खोले।
- कंपनी ने निवेशकों को ऊंचे मुनाफे और अन्य प्रलोभनों का लालच देकर करोड़ों रुपये इकट्ठा किए।
- वर्ष 2023-24 में यह कंपनी अचानक निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गई।
अन्य राज्यों में भी धोखाधड़ी
जांच में पता चला कि एलयूसीसी कंपनी न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों में भी निवेशकों से ठगी कर चुकी है। अब तक उसके खिलाफ कुल 56 मुकदमे दर्ज पाए गए हैं। मुख्य आरोपी के दुबई भागने की भी पुष्टि हुई है।
सरकार और अफसरों की भूमिका पर भी सवाल
- याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जी में सरकार और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने की मांग की थी।
- हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब यह पूरा मामला सीबीआई की जांच के अधीन होगा।
कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित निवेशकों ने राहत की सांस ली है। उनका मानना है कि अब इस घोटाले की सच्चाई सामने आ सकेगी और दोषियों को सजा मिल पाएगी।