मनसा देवी मंदिर में पूर्व में भी हो चुके हैं गंभीर हादसे, फिर उजागर हुई सुरक्षा व्यवस्था की खामियाँ

हरिद्वार ।
हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में 27 जुलाई 2025 को हुई भगदड़ की घटना ने एक बार फिर मंदिर प्रशासन और स्थानीय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब मंदिर में इस तरह की अव्यवस्था से श्रद्धालुओं को जान का खतरा हुआ हो। इससे पहले भी मंदिर परिसर में कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं, जिनमें श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आईं और जीवन संकट में पड़ गया।
जुलाई 2011 – सावन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और अव्यवस्था
श्रावण मास के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे, जिससे मंदिर परिसर और सीढ़ी मार्ग पर भीषण भीड़ लग गई। घंटों कतार में खड़े रहने के कारण कई श्रद्धालु बेहोश हो गए। दम घुटने और अस्थमा के लक्षणों से कई लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता पड़ी। मौके पर न तो पर्याप्त जल की व्यवस्था थी और न ही प्राथमिक चिकित्सा। पुलिस की मौजूदगी भी नगण्य रही, जिससे हालात बेकाबू हो गए।
जुलाई 2017 – रोपवे में तकनीकी खराबी, श्रद्धालु घंटों फंसे
मंदिर तक जाने वाली रोपवे सेवा में अचानक तकनीकी खराबी आ गई, जिससे दर्जनों ट्रॉली हवा में अटक गईं। गर्मी और डर के कारण कई श्रद्धालु घबराकर बेहोश हो गए। सेवा कुछ घंटों में बहाल कर दी गई, लेकिन इस घटना के बाद भी स्थायी तकनीकी निरीक्षण या आपातकालीन योजना नहीं बनाई गई।
अगस्त 2019 – बारिश के कारण फिसलन, कई श्रद्धालु घायल
बारिश के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर फिसलन हो गई, जिससे कई श्रद्धालु फिसलकर गिर पड़े। सीढ़ियों पर कोई रबर मैट या रस्सी की व्यवस्था नहीं थी। प्रशासन ने मामूली सफाई के आदेश दिए, लेकिन कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाला गया।
बार-बार दोहराई जा रही हैं लापरवाहियाँ
इन सभी घटनाओं से स्पष्ट है कि हरिद्वार जैसे अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल पर भी भीड़ प्रबंधन, आपदा नियंत्रण और तकनीकी देखरेख को गंभीरता से नहीं लिया गया है। हर सावन, पर्व या यात्रा काल में श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ती है, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम अब तक नहीं किये जा सके हैं।