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नंदा लोकजात : आस्था, रहस्य और रोमांच का अनोखा सफर

मां नंदा की लोकजात 16 से, गांवों में उमड़ेगा आस्था का सैलाब
बेदनी बुग्याल में होगा समापन, छह महीने तक सिद्धपीठ देवराड़ा में रहेंगी स्थापित

Dehradun

सीमांत जनपद चमोली में आस्था और परंपरा का पर्व मानी जाने वाली मां नंदा की लोकजात का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। नंदा देवी राजराजेश्वरी मंदिर कमेटी (परगना नन्दाक बधाण) के अनुसार यह भव्य लोकजात 16 अगस्त से 30 अगस्त तक आयोजित की जाएगी, जिसका शुभारंभ कुरुड़ मंदिर से होगा।

यात्रा की शुरुआत से पहले 14 से 16 अगस्त तक कुरुड़ में तीन दिवसीय नंदा मेले का आयोजन किया जाएगा। 16 अगस्त को मां राजराजेश्वरी की डोली हिमालय की ओर प्रस्थान करेगी।

यह वार्षिक लोकजात धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है। यह चमोली जिले के सातों विकासखंडों के साथ-साथ 800 से अधिक गांवों को जोड़ती है।

यात्र मार्ग के विश्राम स्थल:

  • 16 अगस्त: कुरुड़ से चरबंग
  • 17 अगस्त: मथकोट
  • 18 अगस्त: उस्तोली
  • 19 अगस्त: भेंटी
  • 20 अगस्त: गेरुड़
  • 21 अगस्त: डुंगरी
  • 22 अगस्त: सूना
  • 23 अगस्त: चेपड़ो
  • 24 अगस्त: धारतल्ला
  • 25 अगस्त: बेराधार
  • 26 अगस्त: फल्दिया गांव
  • 27 अगस्त: मुंदोली
  • 28 अगस्त: वाण
  • 29 अगस्त: गेरोली पातल
  • 30 अगस्त: बेदनी बुग्याल (समापन)

30 अगस्त, नंदा सप्तमी के पावन दिन, बेदनी बुग्याल में वेदनी कुंड पर विशेष पूजा और तर्पण के साथ मां नंदा को हिमालय विदा किया जाएगा।

इसके बाद डोली 6 सितंबर तक बांक, ल्वाणी, उंलग्रा, पूर्णा, जौला, बिजेपुर और बैनोली होते हुए सिद्धपीठ देवराड़ा पहुंचेगी, जहां मां नंदा अगले छह माह तक विराजमान रहेंगी। उत्तरायण में देवी पुनः अपने मायके कुरुड़ लौटेंगी।

इस लोकजात के दौरान पूरे इलाके में मां नंदा के जयकारों से वातावरण भक्तिमय रहेगा। विवाहित बेटियां (ध्याणियां) भी इस अवसर पर अपने मायके लौटती हैं, जिससे यह यात्रा आस्था के साथ-साथ सामाजिक पुनर्मिलन का पर्व भी बन जाती है।

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