Breaking Newsउत्तराखंडस्वास्थ्य
Trending

आयुष्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: हरिद्वार-रुड़की के दो निजी अस्पतालों की संबद्धता निलंबित

ICU पैकेज का दुरुपयोग कर करोड़ों की हेराफेरी का आरोप

 

देहरादून, 2 अगस्त : आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़झाले के गंभीर आरोपों के चलते राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने हरिद्वार और रुड़की के दो प्रमुख निजी अस्पतालों—क्वाड्रा हॉस्पिटल, रुड़की और मेट्रो हॉस्पिटल, हरिद्वार की योजना से संबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी है। आरोप है कि दोनों अस्पतालों ने आईसीयू पैकेज का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की अनियमित क्लेमिंग की। प्राधिकरण ने दोनों को पांच दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया है। इस दौरान योजना के तहत नए मरीजों की भर्ती पर पूर्ण रोक लगाई गई है, हालांकि पूर्व से भर्ती मरीजों का इलाज जारी रहेगा।

क्वाड्रा हॉस्पिटल: 1800 में 1619 मरीज ICU में?

रुड़की स्थित क्वाड्रा हॉस्पिटल पर सबसे गंभीर आpरोप यह है कि अस्पताल ने सामान्य चिकित्सा के मामलों को भी सुनियोजित ढंग से ICU भर्ती दिखाया। आंकड़े बताते हैं कि 1800 में से 1619 मरीजों को ICU में दाखिल दिखाया गया, जबकि इनकी हालत सामान्य थी। खास बात यह रही कि अधिकतर मामलों में मरीज को शुरुआत में 3 से 6 दिन ICU में दिखाया गया और छुट्टी से एक-दो दिन पहले सामान्य वार्ड में 0 कर दिया गया।

जांच में यह भी पाया गया कि सामान्य बीमारियों जैसे उल्टी, यूटीआई और निर्जलीकरण में भी ICU भर्ती दर्शाई गई। अस्पताल रिकॉर्ड में सभी मरीजों का तापमान 102°F दिखाया गया, जो डिस्चार्ज के दिन अचानक 98°F हो गया—जो दस्तावेजी हेराफेरी की ओर इशारा करता है।

संदेह और भी तब गहरा गया जब यह पाया गया कि ICU बेड नंबर रोजाना बदले गए, ICU फोटोज़ में न मॉनिटर चालू था, न IV लाइन लगी थी। एक जैसे मोबाइल नंबर अलग-अलग परिवारों के मरीज फॉर्म में मिले, जबकि BIS रिकॉर्ड से उनके कोई संबंध नहीं निकले, गंभीर बताए गए मरीजों को LAMA (Leave Against Medical Advice) के तहत छुट्टी दे दी गई, और अधिकांश केस फाइलों में एक जैसी हैंडराइटिंग और भाषा पाई गई।

मेट्रो हॉस्पिटल: दस्तावेज तक नहीं जुटा पाया

हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल पर भी समान पैटर्न पर फर्जीवाड़े का आरोप है। यहां भी मरीजों को 3 से 18 दिनों तक ICU में भर्ती दिखाया गया और फिर सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर छुट्टी दी गई। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल ICU चार्ट, मरीजों की तस्वीरें या ICP दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं करा पाया, जबकि ये SHA प्रोटोकॉल के तहत अनिवार्य हैं।

टीएमएस पोर्टल पर अपलोड दस्तावेजों से सामने आया कि कई सामान्य बीमारियों में भी ICU क्लेम किए गए। धुंधले और अपठनीय दस्तावेज, ICU अपकोडिंग की मंशा दर्शाते हैं।

5 दिन में जवाब नहीं दिया तो संबद्धता स्थाई रूप से होगी समाप्त 

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर पांच दिन में जवाब नहीं मिला या संतोषजनक नहीं हुआ, तो इन अस्पतालों की संबद्धता स्थायी रूप से समाप्त कर दी जाएगी और आर्थिक दंड की कार्रवाई भी की जाएगी। यह कार्रवाई आयुष्मान भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजना की पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

Related Articles

Back to top button