अब साल भर नहीं खोद सकेंगे सड़कें, मिलेंगे सिर्फ दो महीने
लोक निर्माण विभाग ने सड़क खुदाई पर बनाई सख्त नीति, उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

देहरादून, 2 अगस्त : राज्य में अब सड़कें जब चाहे तब नहीं खोदी जा सकेंगी। लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने सड़क खुदाई को लेकर पहली बार एक ठोस नीति का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत पूरे साल में केवल दो महीने ही ऐसे होंगे जब किसी भी विभाग को सड़क काटने की अनुमति दी जाएगी। बाकी महीनों में खुदाई पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी, और विशेष परिस्थितियों को छोड़कर कोई अपवाद नहीं माना जाएगा।
अब तक की स्थिति यह थी कि एक विभाग लाखों रुपये खर्च कर नई सड़क बनाता था, लेकिन कुछ ही समय बाद दूसरा विभाग बिना किसी योजना या अनुमति के उसी सड़क को खोद डालता था। कई बार खुदाई के बाद कार्य अधूरा छोड़ दिया जाता था। इससे सड़कें महीनों तक गड्ढों और कीचड़ से भरी रहती थीं। बरसात में कीचड़ और फिसलन से दुर्घटनाएं होती थीं, तो गर्मियों में धूल से राहगीरों का जीना मुश्किल हो जाता था।
नई नीति का उद्देश्य विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना और जनता को इस तरह की परेशानी से निजात दिलाना है। अब हर विभाग को खुदाई के लिए पहले से आवेदन देना होगा, काम की पूरी योजना, समयसीमा और फोटोग्राफिक प्रूफ के साथ। तय समय में काम पूरा न करने या अधूरा छोड़ने पर संबंधित विभाग पर वित्तीय दंड और विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
सचिव लोक निर्माण विभाग, सचिन पंकज पांडे ने स्पष्ट किया कि “अब कोई भी विभाग मनमाने ढंग से सड़क नहीं काट सकेगा। सभी को पहले से यह बताना होगा कि कहां और कब खुदाई करनी है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एक बार बनी सड़क को बार-बार न तोड़ा जाए। नीति का मकसद है जनता को राहत और जवाबदेही तय करना।”
नई नीति को डिजिटल निगरानी से भी जोड़ा जाएगा। इसके तहत सभी विभागों को PM Gati Shakti Portal और Meri Sadak App जैसे केंद्र सरकार के पोर्टलों से जोड़ा जाएगा। खुदाई की स्वीकृति, कार्य प्रगति और समयसीमा का डाटा इन्हीं पोर्टलों पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। इससे न केवल सभी विभागों में समन्वय बेहतर होगा, बल्कि आम जनता भी किसी अव्यवस्था या खुदाई की शिकायत सीधे एप के माध्यम से कर सकेगी। इससे पारदर्शिता के साथ जवाबदेही भी तय हो सकेगी।
सख़्ती से सुधरेगी सड़कों की हालत
- खुदाई सिर्फ दो तय महीनों में होगी
- बिना अनुमति खुदाई पर जुर्माना और अनुशासनात्मक कार्रवाई
- GIS ट्रैकिंग और फोटो निगरानी से हर खुदाई पर नज़र
- केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच अनिवार्य समन्वय
- जनता को गड्ढों, कीचड़ और बार-बार की खुदाई से राहत