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मंडी में कुदरत का कहर, तीन की मौत

सिर्फ जुलाई में हिमाचल में 113 से अधिक लोग मारे गए, 350 सड़कें बंद, 18 हजार करोड़ से ज़्यादा का नुकसान

आसमान से बरस रही है आफत, मंगलवार आधी रात से मूसलाधार बारिश, वाहन मलबे में दबे, घरों में घुसा मलबा

मंडी (हिमाचल प्रदेश), 29 जुलाई : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार सुबह एक बार फिर प्राकृतिक कहर टूटा। मंडी शहर में जेल रोड से लेकर जोन अस्पताल में पांच किमी के दायरे में सबसे अधिक नुकसान हुआ है और यहां पर 100 से अधिक गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। तेज बहाव में कई वाहन बह गए  और कई वाहन मलबे में दबे हुए हैं। इस आपदा में चार लोगों मौत हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार, मृतकों में पूर्व पार्षद के बेटा-बहू और पोता भी शामिल है। थ्री व्हीलर को बचाने के चक्कर में पूरा परिवार मलबे की चपेट में आ गया जिससे तीनों की मौत हो गई।

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का सितम जारी है। हर साल बारिश अपने साथ तबाही का रही है। इस बार भी मानसून की मार ने लोगों की ज़िंदगी उजाड़ दी है — मकान जमींदोज़ हुए, खेत बहे, और कई परिवार खुले आसमान तले आ गए। एक मादी जिला ऐसा था जो कुदरत के कहर से बचा था। मंगलवार सुबह आई आपदा ने उसे भी उजाड़ दिया। सराज, नाचन, करसोग और धर्मपुर जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

बीते 24 घंटों में 5 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश रिपोर्ट की गई है. मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मौसम वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि बीते 24 घंटों में जिला मंडी, कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर के कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश दर्ज की गई है। मरने वाले की पहचान मंडी के जेल रोड में तुंगल कॉलोनी निवासी बलबीर सिंह पुत्र कृष्ण सिंह, अमनप्रीत सिंह उर्फ सनी पुत्र दर्शन सिंह और सपना पत्नी दर्शन सिंह के रूप में हुई है। ये परिवार जेल रोड की पूर्व पाषर्द कृष्णा का परिवार था, जो फ्लड की चपेट में आ गया था। एक व्यक्ति घायल है और उपचार के लिए मंडी के क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एडीएम मंडी डॉ. मदन कुमार ने तीन लोगों की मौत की पुष्टि की है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी मौके पर पहुंचे हैं। मौके पर राहत व बचाव कार्य जारी है। स्थानीय प्रशासन के साथ एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें मुस्तैदी से तैनात हैं।

नेशनल हाईवे 305 (बंजार से जलोड़ी दर्रा मार्ग) भारी मलबा आने के कारण बाधित हो गया है। लगातार बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में सड़कों की स्थिति बेहद खराब बनी हुई है।

जेल रोड, जोनल अस्पताल मार्ग और सैंण में भारी तबाही

तेज वर्षा के बाद मंडी शहर के प्रमुख क्षेत्रों में मलबे का सैलाब उमड़ पड़ा। जेल रोड में और जोनल अस्पताल वाले मार्ग में मलबा आ गया है। सैंण क्षेत्र में घरों के पास तक मलबा पहुंच गया, जिससे लोग घर छोड़कर भागने को मजबूर हुए। भूस्खलन से कीरतपुर मनाली फोरलेन और पठानकोट मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया है।

जीवा नाला: प्राकृतिक आपदा का नया केंद्र

कुल्लू की सैंज घाटी का जीवा नाला अब चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यहां बार-बार भूस्खलन, बादल फटना और मलबे का बहाव देखने को मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस इलाके की भू-संरचना जटिल है, जहां जियोमैकेनिकल कमजोरियाँ (चट्टानों की संरचनात्मक अस्थिरता) और लगातार वर्षा से जलसंतृप्ति होने के कारण मिट्टी का दबाव अचानक कई गुना बढ़ जाता है — जिससे ऐसे आपदाजनक हालात पैदा होते हैं।

केंद्र सरकार की टीम कर रही है जमीनी जांच

प्रदेश में लगातार आपदाओं को देखते हुए केंद्र सरकार की एक उच्च स्तरीय तकनीकी टीम दो दिन पहले ही हिमाचल पहुंची है। यह टीम अलग-अलग स्थानों पर भूस्खलन, बादल फटना और भूमि अस्थिरता की वैज्ञानिक समीक्षा कर रही है। केंद्रीय जल आयोग और मौसम विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ इस बात की गहराई से जांच कर रहे हैं कि आखिर हिमाचल में इतने व्यापक स्तर पर आपदा क्यों हो रही है।

पिछले डेढ़ महीने में हिमाचल में तबाही का ग्राफ

  • 113 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है
  • 350 से अधिक सड़कें अभी भी बाधित हैं
  • 1500 से अधिक घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं
  • प्रदेश को अब तक 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है
  • कुल्लू, चंबा, मंडी, शिमला और किन्नौर जिलों में आपदा सबसे अधिक असरकारी रही है

◼️ सरकार और प्रशासन की स्थिति

राज्य सरकार ने केंद्र से आपदा राहत कोष की अतिरिक्त सहायता मांगी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रभावितों को हरसंभव राहत दी जा रही है। साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों की सिफारिशों के अनुसार आपदा प्रबंधन योजना को फिर से तैयार करने के संकेत भी दिए हैं।

 

 

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