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जलती गाड़ी, बहती शराब और भागते तस्कर

चुनावी मौसम में फिर सुलगी 'ठंडी' व्यवस्था!

अल्मोड़ा ज़िले के सोमेश्वर थाना क्षेत्र में बीती रात एक अनोखा ‘रोमांचक’ दृश्य देखने को मिला—जहां एक कैंटर धू-धू कर जल रहा था और शराब लपटों में समा रही थीं। पथरिया-मजखाली मार्ग पर जलते वाहन की सूचना मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड हरकत में आई, लेकिन जब तक आग बुझी, गाड़ी तो राख हो चुकी थी, हां… मगर शराब की ‘खुशबू’ अब भी हवा में तैर रही थी।

थानाध्यक्ष कश्मीर सिंह की टीम ने मौके पर जो देखा, वो किसी “अंडरवर्ल्ड फिल्म” के सीन से कम न था। अंग्रेजी शराब की पेटियों का अंबार, जिनमें से कई जलकर खाक हो चुकी थीं, और जो बचीं, उन्हें पुलिस ने जब्त कर लिया। कुल 840 बोतलें, 168 अध्धे और 8208 पव्वे… यानी शराब के लोकतांत्रिक वितरण की पूरी तैयारी थी।

शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि ये ‘शराब एक्सप्रेस’ चुनावी मैदान में उतरने वाले मतदाताओं के मूड को ‘नम’ करने निकली थी, लेकिन किस्मत ने पासा पलट दिया। अब सवाल ये है कि क्या ये आग सिर्फ गाड़ी में लगी थी, या प्रशासन की आंखें भी धुंआ धुंवा हो गई हैं?

वाहन चालक और तस्करी में शामिल अन्य ‘लोकतंत्र प्रेमी’ अभी भी फरार हैं। पुलिस तलाश में जुटी है, पर आम जनता को ये चिंता सताने लगी है कि कहीं शराब की यह होली आने वाले मतदान में ‘जनादेश’ को न भिगो दे।

जनता पूछ रही है:

इतने बड़े जखीरे का कहीं कोई सुराग पहले क्यों नहीं मिला?

क्या अगली बार शराब सीधे ‘चुनाव प्रचार सामग्री’ में शामिल कर दी जाएगी?

सबसे बड़ा सवाल—क्या इस आग में किसी साजिश की बू है?

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