जो दिखता नहीं… वही सबसे बड़ा खतरा!
आपको लगता है सब ठीक है, लेकिन गर्दन की नसें बता सकती हैं—कितनी देर बाकी है!

देहरादून, 24 जुलाई: आप रोज़ दौड़ते हैं—ऑफिस के लिए, परिवार के लिए, भविष्य के लिए।
आपको लगता है—“मैं तो एकदम ठीक हूं।” ना कोई दर्द, ना थकान… सब नॉर्मल। लेकिन शरीर अंदर से क्या कह रहा है, कभी सुना है?
ज़्यादातर मामलों में गंभीर बीमारियां चुपचाप विकसित होती हैं, बिना कोई संकेत दिए। और जब तक कोई लक्षण दिखे, तब तक बहुत कुछ बिगड़ चुका होता है
दरअसल हमारी आदत बन गई है—बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाना। लेकिन असली समझदारी ये है कि बीमार होने से पहले जांच करा ली जाए।
नेक सोनोग्राफी कोई “लग्ज़री टेस्ट” नहीं, ये हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपने भविष्य को लेकर गंभीर है।क्योंकि शरीर तब चीखता है, जब हम बहुत देर कर चुके होते हैं।
गर्दन की नसें क्या कहती हैं?
गर्दन के दोनों ओर कैरोटिड आर्टरी होती हैं—जो सीधे दिमाग तक खून पहुंचाती हैं। अगर इनमें ब्लॉकेज होने लगे तो यह एक साइलेंट टाइम बम की तरह है।
कई बार ब्रेन स्ट्रोक या लकवा जैसी घटनाएं इसी कारण होती हैं, और व्यक्ति को पहले से कोई चेतावनी नहीं मिलती। अब सवाल है — इसका पता कैसे चले?
नेक सोनोग्राफी: एक छोटा टेस्ट, बड़ी बचाव की डोर
नेक सोनोग्राफी या कैरोटिड डॉप्लर एक सामान्य अल्ट्रासाउंड तकनीक है, जिसमें आपकी गर्दन की नसों में खून के प्रवाह को देखा जाता है।
ये पूरी तरह नॉन-इनवेसिव है, न कोई दर्द, न सुई।
सिर्फ 15-20 मिनट का टेस्ट, और अगर आपकी नसों में रुकावट है तो डॉक्टर तुरंत पहचान लेते हैं कि स्ट्रोक या ब्रेन अटैक का कितना खतरा है। इस जांच में गर्दन के अंदरूनी हिस्सों — जैसे थायरॉइड, लसीका ग्रंथियां (lymph nodes), लार ग्रंथियां, और रक्तवाहिनियां (जैसे कैरोटिड आर्टरी) — की साफ तस्वीरें ली जाती हैं। ये तस्वीरें हाई-फ्रीक्वेंसी ध्वनि तरंगों के ज़रिए ली जाती हैं, जिनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इसमें रेडिएशन नहीं होता, इसलिए यह जांच बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित मानी जाती है।
कब करानी चाहिए नेक्क सोनोग्राफी?
- अगर आपकी उम्र 40 या उससे अधिक है
- आप धूम्रपान करते हैं
- परिवार में स्ट्रोक का इतिहास है
- बार-बार चक्कर, गर्दन भारी रहना या सिरदर्द की शिकायत है
- यह जांच तब कराई जाती है जब गर्दन में किसी तरह की गांठ या सूजन महसूस हो,
- थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं हों, जैसे हार्मोन असंतुलन या थायरॉइड बढ़ना,
- गर्दन में दर्द, जकड़न या कोई असामान्य उभार दिखे,
- डॉक्टर को लसीका ग्रंथियों की सूजन या कैंसर की आशंका हो,
- कैरोटिड डॉप्लर की ज़रूरत हो — यानी गर्दन की मुख्य रक्तवाहिनी में ब्लॉकेज या थक्का देखने के लिए।
कुछ मामलों में डॉक्टर इसे नियमित चेकअप का हिस्सा भी बना सकते हैं, खासकर अगर मरीज को थायरॉइड या कैंसर जैसी पूर्व इतिहास हो।
जब राकेश रोशन ने कराई जांच — और बचाव हुआ
हाल ही में बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता राकेश रोशन एक रूटीन फुल बॉडी चेकअप में गए। कोई लक्षण नहीं था, लेकिन नेक सोनोग्राफी में 75% ब्लॉकेज सामने आया। समय रहते इलाज शुरू हो गया, और बड़ी अनहोनी टल गई।
यही फर्क है रूटीन जांच और लापरवाही में।
खर्च और सुविधा
देश के सभी प्रमुख अस्पतालों और डायग्नोस्टिक लैब्स में यह जांच ₹1200 से ₹2600 तक में हो जाती है।
देहरादून में भी सभी प्राइवेट औरसरकारी अस्पतालों में भी अब यह सुविधा उपलब्ध है, और कई जगहों पर ये जांच मुफ्त या कम दरों पर की जाती है।
क्या हो सकता है अगर न कराएं?
- बिना लक्षण स्ट्रोक का खतरा
- बोलने या चलने में परेशानी
- जीवनभर का लकवा
- अचानक चेतना खोना या गिर जाना
स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ ज़िंदा रहना नहीं, समय रहते सजग रहना है। सजग रहें और साइलेंट किलर से बचें।