कॉर्बेट-2: ईको हट्स परियोजना में घोटाले के संकेत, जांच के घेरे में सत्ता, खर्च और रिश्तों का गठजोड़
₹1.63 करोड़ की लागत, चार साल तक एक ही फर्म को ऑडिट, अब CBI-ED जांच की तैयारी

पर्यटन की आड़ में तंत्र की परतें खुलने लगी
नैनीताल, 25 जुलाई: उत्तराखंड की ईको हट्स परियोजना अब एक साधारण निर्माण कार्य नहीं, बल्कि एक संभावित घोटाले की शक्ल ले चुकी है। करोड़ों के खर्च, संदिग्ध ऑडिट, सत्तासीन रिश्तों और वीवीआईपी मेहमानों की मौजूदगी ने इस पूरे मामले को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है। शासन स्तर पर इसे “कॉर्बेट-2” नाम दिया जा चुका है और अब इसकी जांच CBI और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों के हवाले करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
1.63 करोड़ का खर्च, जवाब नहीं
ईको हट्स निर्माण और उससे जुड़ी व्यवस्थाओं पर ₹1.63 करोड़ का खर्च दर्शाया गया है। लेकिन खर्च की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं—किस मद में कितना खर्च हुआ, किस प्रक्रिया से स्वीकृति दी गई और क्या यह व्यय शासन की मान्य प्रक्रियाओं का पालन करता है, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
ऑडिट प्रक्रिया पर गंभीर संदेह
इस पूरे प्रोजेक्ट का वित्तीय ऑडिट एक निजी फर्म को लगातार चार वर्षों तक सौंपा गया, वह भी राजस्थान के जैसलमेर की एक कंपनी को। यह सामान्य प्रक्रिया से हटकर है, क्योंकि आमतौर पर सरकारी परियोजनाओं का ऑडिट साल-दर-साल अलग फर्मों से कराया जाता है। अब यह ऑडिट भी जांच एजेंसियों की रडार पर आ गया है।
लंबी तैनाती, रिश्तों की छाया
परियोजना से जुड़े अधिकारी पर आरोप है कि वह लंबे समय से मलाईदार पदों पर तैनात रहे और परियोजना की हर बड़ी प्रक्रिया में उनकी सीधी भूमिका रही। इसके साथ ही उनके सत्ताधारी परिवार से निजी संबंध की चर्चा भी तेज हो गई है। हालांकि इस रिश्ते की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह कोण जांच एजेंसियों के लिए दिलचस्प हो सकता है।
शेखर कपूर ने ki हट्स में ठहरने की पुष्टि
मामले में एक अलग ही रोशनी तब पड़ी जब फिल्म निर्देशक शेखर कपूर ने स्वयं पुष्टि की कि वे ईको हट्स में ठहरे थे। उनके ठहराव को लेकर कहा जा रहा है कि इस परियोजना को “वीवीआईपी फ्रेंडली फेस” देने की कोशिश की गई, ताकि योजना को एक खास चमक और वैधता मिल सके
शासन स्तर पर जांच की तैयारी
इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने अब मामले की जांच के लिए CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अनुशंसा भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शासन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इस पर सहमति बन चुकी है। संभव है कि जल्द ही इस मामले में आर्थिक अपराध और नियमों के उल्लंघन की औपचारिक जांच शुरू हो जाए।
मुख्य बिंदु – एक नजर में
- ईको हट्स परियोजना पर कुल खर्च: ₹1.63 करोड़
- जैसलमेर की निजी फर्म को लगातार 4 वर्षों तक ऑडिट का कार्य
- संबंधित अधिकारी की लंबी तैनाती और सत्तासीन संबंधों पर उठे सवाल
- फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने हट्स में ठहरने की पुष्टि की
- शासन ने CBI और ED जांच की दिशा में कदम बढ़ाया
कुल मिलाकर ईको हट्स परियोजना अब एक ऐसी केस स्टडी बनती जा रही है जो बताती है कि कैसे सरकारी योजनाएं प्रभाव, पद और प्रचार के जाल में फंसकर अपनी पारदर्शिता खो बैठती हैं। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच एजेंसियां किस हद तक इस तंत्र की तह तक पहुंच पाती हैं।