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कल हरिद्वार से लेकर काशी और देवघर तक गूंजेगा ‘बम-बम भोले’, शिवालयों में जलाभिषेक से खुलेगा शिव कृपा का द्वार

देहरादून, 22 जुलाई : सावन का महीना शिव भक्ति और आस्था का सबसे पावन समय माना जाता है। इस बार 23 जुलाई 2025, बुधवार को श्रावण मास की शिवरात्रि का पावन पर्व है। पूरे देशभर में शिवालयों में हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ जलाभिषेक की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। खासकर हरिद्वार, गंगोत्री, नीलकंठ महादेव जैसे तीर्थों से जल लेकर लौटते कांवड़िए अब अपने-अपने गांव-शहर के शिवालयों में जल अर्पित करेंगे।
सावन शिवरात्रि केवल उपवास या पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह संयम, साधना और श्रद्धा का उत्सव है। इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए लाखों लोग उपवास रखते हैं, रातभर जागरण करते हैं और चार प्रहर में विशेष पूजन करते हैं।
कांवड़ यात्रा और सावन शिवरात्रि का संबंध
कांवड़ यात्रा और सावन शिवरात्रि का सीधा संबंध भगवान शिव के समुद्र मंथन के समय विषपान से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार देवताओं ने शिव के विष के प्रभाव को शांत करने के लिए गंगाजल अर्पित किया था। यही परंपरा आज भी कांवड़ के रूप में जीवित है।
हरिद्वार से अब तक 35 लाख से अधिक कांवड़िए जल लेकर लौट चुके हैं। नीलकंठ, केदारनाथ, टपकेश्वर, कोटेश्वर, देवघर, काशी विश्वनाथ जैसे शिवधामों में कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटेगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
तिथि और मुहूर्त :
- शिवरात्रि प्रारंभ : 23 जुलाई प्रातः 03:10 बजे से
- शिवरात्रि समाप्त : 24 जुलाई प्रातः 01:32 बजे तक
- निशीथ काल पूजा : रात 12:04 से 12:48 बजे तक
पूजन विधि :
- स्नान कर उपवास का संकल्प लें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से पंचामृत अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल, शमीपत्र अर्पित करें।
- दीप-धूप जलाकर आरती करें।
- महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
शिव को प्रिय वस्तुएं और उनका महत्त्व
वस्तु महत्त्व
बेलपत्र दोष निवारण, मनोकामना पूर्ति
धतूरा। भांग रोग-शोक नाशक
पंचामृत सुख-समृद्धि
गंगाजल शुद्धि, पुण्य
आक के फूल रक्षा और दीर्घायु
शमीपत्र शत्रु बाधा निवारण
काले तिल पाप नाश, मोक्ष
कहां-कहां उमड़ेगा जनसैलाब?
- उत्तराखंड : हरिद्वार, नीलकंठ महादेव, केदारनाथ, टपकेश्वर
- उत्तर प्रदेश : काशी विश्वनाथ, गढ़मुक्तेश्वर, मेरठ, देवबंद
- बिहार : बाबाधाम देवघर
- मध्यप्रदेश : उज्जैन महाकाल
- महाराष्ट्र : त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर
- दिल्ली-एनसीआर : प्रमुख शिवालयों में विशेष पूजा
साल भर में कितनी शिवरात्रियां?
वर्ष भर में 12 मासिक शिवरात्रियां होती हैं, हर कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है। इनमें 4 विशेष शिवरात्रियां मानी जाती हैं :
1️⃣ महाशिवरात्रि (फाल्गुन मास)
2️⃣ सावन शिवरात्रि (श्रावण मास)
3️⃣ कार्तिक शिवरात्रि
4️⃣ आषाढ़ शिवरात्रि
कहा जाता है कि शिवरात्रि पर विधिवत पूजा, व्रत और जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विवाह में आ रही रुकावट दूर होती है, रोग-शोक, शत्रु बाधाएं शांत होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
शिवरात्रि : केवल व्रत नहीं, विश्वास का पर्व
सावन शिवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, यह भक्ति, धैर्य और आत्मसंयम का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा से हर असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
इस सावन शिवरात्रि में एक बहुत ही दुर्लभ और शक्तिशाली योग का संयोग बन रहा है, जो वर्षों बाद पहली बार आया है।
विशेष संयोग – तीन राजयोगों का संगम
इस वर्ष 23 जुलाई 2025 की सावन शिवरात्रि पर ग्रहों की अद्वितीय स्थिति रामबाण सिद्ध होगी। गजकेशरी योग बनेगा (चंद्र और बृहस्पति मिथुन राशि में),साथ ही बनेंगे बुधादित्य योग और नवपंचम योग, औरशुक्र मृगाशिरी/वृष राशि में होगा, जिससे बनेगा मालव्य राजयोग बन रहा है। ये सभी योग लगभग 24 वर्षों बाद एक साथ आए हैं—अंतिम बार 2001 में ऐसा संयोग हुआ था । यह संयोग केवल आध्यात्मिक शक्ति ही नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि, करियर ग्रोथ, सामाजिक प्रतिष्ठा, और भावनात्मक सुदृढ़ता जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा ।
यह दुर्लभ संयोग इन 5 राशियों पर विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा, शुभ फल प्रदान करेगा
वृषभ (Taurus) : धन की प्राप्ति, संपत्ति की वृद्धि
मिथुन (Gemini) : करियर और नाम-प्रतिष्ठा में लाभ
कर्क (Cancer): नौकरी–व्यवसाय में लाभ, भावनात्मक संतुलन
वृश्चिक (Scorpio) : वैवाहिक सुख, भौतिक सुविधा
धनु (Sagittarius): पदोन्नति, आर्थिक स्थिरता, विदेश यात्रा
कैसे लाभ उठाएं इस शक्तिशाली योग से?
सावन शिवरात्रि पर पूजन विधि—चार प्रहर जागरण, पंचामृत–गंगाजल अभिषेक, बेलपत्र–धतूरा–शमीपत्र–तिल–भांग अर्पित करना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर ऊर्जा को समर्पित करें। विशेष उपाय जैसे 108 बेलपत्रों पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखकर अर्पण, रुद्राभिषेक, उत्तर दिशा की ओर दीपक जलाना आदि करें।