स्कॉच, मोबाइल, आभूषण होंगे सस्ते; 34 अरब डॉलर तक बढ़ेगा व्यापार
तीन वर्षों की बातचीत के बाद ऐतिहासिक करार, भारतीय निर्यातकों और पेशेवरों को मिलेगी बड़ी राहत

नई दिल्ली, 25 जुलाई: भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) आखिरकार संपन्न हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में गुरुवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह करार लगभग तीन वर्षों की गहन वार्ताओं के बाद साकार हुआ, जिसके तहत दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में करीब 34 अरब डॉलर सालाना की वृद्धि की संभावना है।
यह समझौता जहां एक ओर उपभोक्ताओं को सस्ते आयात का लाभ देगा, वहीं भारतीय उद्योगों, निर्यातकों और पेशेवरों के लिए भी नए अवसर खोलेगा। भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की ओर से उनके समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस ऐतिहासिक करार पर हस्ताक्षर किए।
🇮🇳 भारतीय बाजार में ये चीज़ें होंगी अब ज्यादा सस्ती
स्कॉच व्हिस्की और जिन:
इन पर आयात शुल्क तुरंत 150% से घटाकर 75% किया गया, जो अगले 10 वर्षों में घटकर 40% तक आ जाएगा।
मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स:
ब्रिटेन से आने वाले मोबाइल, लैपटॉप और गैजेट्स पर टैरिफ में कमी की संभावना से कीमतें गिरेंगी।
सॉफ्ट ड्रिंक्स और कॉस्मेटिक्स:
औसत टैरिफ 15% से घटकर अब मात्र 3% तक हो जाएगा।
मेडिकल डिवाइसेस और एयरोस्पेस पार्ट्स:
इनकी लागत में गिरावट से भारत में चिकित्सा और रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
जूते, कपड़े और चमड़ा उत्पाद:
ब्रिटेन के फैशन ब्रांड्स भारतीय बाजार में अब ज्यादा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर मिलेंगे।
आभूषण और रत्न:
कस्टम ड्यूटी में कटौती से ब्रिटेन से आने वाले रत्न-आभूषण भी सस्ते होंगे।
ब्रिटिश खाद्य उत्पाद:
चॉकलेट, बिस्किट और अन्य फूड प्रोडक्ट्स की कीमतों में भी गिरावट होगी।
नोट: डेयरी और संवेदनशील कृषि उत्पाद इस छूट से बाहर रखे गए हैं।
भारतीय निर्यात और पेशेवरों को मिलेंगे ये बड़े फायदे
99% भारतीय निर्यात पर अब शून्य शुल्क:
भारतीय वस्तुएं — खासकर कपड़ा, जूते, ऑटो पार्ट्स, रत्न-आभूषण — अब बिना किसी आयात शुल्क के ब्रिटेन में प्रवेश पा सकेंगी।
सेवा क्षेत्र को खुला प्रवेश:
36 सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को बिना “इकोनॉमिक नीड्स टेस्ट” के प्रवेश मिलेगा।
35 क्षेत्रों में भारतीय पेशेवर अब 24 महीने तक बिना कार्यालय के भी कार्य कर सकेंगे।
सामाजिक सुरक्षा योगदान से राहत:
भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन में तीन वर्षों तक सामाजिक सुरक्षा टैक्स नहीं देना होगा, जिससे प्रति व्यक्ति हजारों पाउंड की वार्षिक बचत संभव होगी।
घरेलू उद्योगों पर क्या होगा असर?
इस समझौते से जहां उपभोक्ताओं और निर्यातकों को राहत मिलेगी, वहीं घरेलू उत्पादक क्षेत्रों के सामने प्रतिस्पर्धा का नया दबाव भी खड़ा होगा।
विशेषकर फैशन, चमड़ा, सॉफ्ट ड्रिंक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और आभूषण क्षेत्र के घरेलू उद्योगों को अब ब्रिटिश ब्रांड्स से मुकाबला करना होगा, जो बेहतर ब्रांड वैल्यू और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगे।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को ‘मेक इन इंडिया’ और MSME सेक्टर के लिए प्रोत्साहन योजनाएं तेज़ करनी होंगी, ताकि घरेलू उद्योग अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक सके।
यदि स्थानीय उत्पादन को सब्सिडी, टेक्नोलॉजी अपग्रेड और निर्यात प्रशिक्षण का सहारा मिले तो भारत इस अवसर को चुनौती नहीं बल्कि बदलाव की सीढ़ी बना सकता है।
समझौते से खुलेंगे ये नए रास्ते
- दोनों देशों के बीच निवेश और तकनीकी साझेदारी को नई रफ्तार मिलेगी।
- व्यापारिक संतुलन बेहतर होगा और वैश्विक आर्थिक मंचों पर भारत की भूमिका और सशक्त होगी।
- उच्च शिक्षा, अनुसंधान और इनोवेशन क्षेत्र में सहयोग के रास्ते भी खुल सकते हैं।