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देहरादून से दिल्ली तक फैला नकली दवाओं का जाल, चार साल बाद पकड़ा गया मास्टरमाइंड

उत्तराखंड एसटीएफ ने तोड़ा नकली दवाइयों का पूरा सिंडिकेट, दिल्ली का फैक्ट्री मालिक गिरफ्त में

देहरादून, 18 जुलाई : देहरादून से शुरू हुआ और दिल्ली तक फैला एक ऐसा नेटवर्क, जो देशभर में करोड़ों की नकली दवाइयां खपा रहा था। फर्जी रैपर, नकली क्यूआर कोड और ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर बनाई जा रही दवाइयां ना सिर्फ देहरादून की फैक्ट्री में तैयार हो रही थीं, बल्कि हरियाणा, राजस्थान समेत बाहरी राज्यों तक भेजी जा रही थीं।

मुख्य आरोपी देवी दयाल गुप्ता को एसटीएफ ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है, जो पिछले चार साल से फरार था। गुप्ता दिल्ली के अशोक विहार का रहने वाला है और सहसपुर (देहरादून) में उसने डा. मित्तल लैबोरेट्रीज के नाम से फर्जी दवा फैक्ट्री चलाई हुई थी।

ऐसे खुला पूरा फर्जीवाड़े का खेल

एसटीएफ ने एक जून को सेलाकुई में छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकली दवाइयों के रैपर, क्यूआर कोड, फर्जी लेबल बरामद किए थे। जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क के तार दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान तक फैले थे। इसी जांच में देहरादून के बयांखाला से संतोष कुमार पकड़ा गया, जिसने कबूल किया कि रैपर और स्टीकर दिल्ली के आदित्य काला के प्रेस में छपते हैं। वहीं हरियाणा के पंचकूला निवासी नवीन बंसल नकली टैबलेट भरवाकर इन्हें अलग-अलग राज्यों में सप्लाई करता था।

चार आरोपी पकड़े गए, सिंडिकेट ध्वस्त

देवी दयाल गुप्ता (दिल्ली, फैक्ट्री मालिक)

संतोष कुमार (छपरा, बिहार)

आदित्य काला (दिल्ली, प्रिंटिंग प्रेस मालिक)

नवीन बंसल (पंचकूला, हरियाणा)

इन सबकी गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया।

लाखों की नकली टैबलेट बरामद, देशभर में होती थी सप्लाई 

एसटीएफ को आरोपी नवीन बंसल की फर्जी कंपनियों रीलिन फार्मा टेक और बीकेम बायोटेक से लाखों नकली दवाइयां मिलीं। इनमें प्रमुख ब्रांडेड कंपनियों के नाम की नकली दवाइयां-

दवा का नाम – बरामद टैबलेट

पैंट्राप्राजोल – 50.86 लाख

डिक्लोसिन एसपी – 15 लाख

लिवोसिट्रिजिन – 7.70 लाख

प्रोक्लोरपरप्रिजाइन – 33.93 लाख

एल्मोडिपाइन – 25.54 लाख

एसेक्लो पैरा – 6.05 लाख

टेल्मीसर्टन – 4.50 लाख

कैसे काम करता था देहरादून से दिल्ली तक यह नकली दवाओं का नेटवर्क?

  •  देहरादून के सहसपुर में नकली दवाओं का निर्माण:
  • देवी दयाल गुप्ता की फैक्ट्री में नामी कंपनियों के नाम पर दवाइयां तैयार होती थीं।
  • दिल्ली के आदित्य काला का प्रिंटिंग प्रेस फर्जी रैपर, स्टीकर और क्यूआर कोड छापता था।
  • हरियाणा के नवीन बंसल इन नकली दवाओं को पैक करवा कर हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में भेजता था।
  • नकली दवाइयों की खेप बड़े ट्रांसपोर्ट के जरिये राज्यों में भेजी जाती थी। यह दवाइयां सस्ती दरों पर बाजार में खपाई जाती थी।
  • एसटीएफ की कार्रवाई से ध्वस्त हुआ फर्जीवाड़ा

देहरादून से शुरू यह गिरोह दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में बड़ी सफाई से अपना नेटवर्क चला रहा था। अब एसटीएफ की इस कार्रवाई से न केवल एक बड़ा नकली दवाओं का सिंडिकेट ध्वस्त हुआ, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा भी टल गया।

“देवी दयाल गुप्ता सहित पूरे नेटवर्क को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन दवाओं की सप्लाई कई राज्यों में हो रही थी। भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।”

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर

 

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