रफ्तार ऐसी कि सिर चकरा जाए… लेकिन चक्कर नहीं आता!
धरती रफ्तार से दौड़ रही है — करीब 1000 मील प्रति घंटा, फिर भी हम पूरी तरह स्थिर रहते हैं; विज्ञान ने बताया ऐसा क्यों होता है।

देहरादून, 24 july: हर पल आप एक ऐसी धरती पर खड़े हैं, जो बिना रुके, बिना थमे, 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। फिर भी न ज़मीन हिलती है, न हवा चटकती है, न ही हमारे सिर में कोई चक्कर आता है।
ऐसा कैसे हो सकता है?
आपने कभी झूला झूला होगा — दो चक्कर में ही दुनिया घूमती लगती है। पर जब पूरी धरती दौड़ रही हो — तब क्यों सब कुछ शांत लगता है?
इस रहस्य की चाबी विज्ञान के तीन नियमों में छिपी है।
नियम नंबर 1: न्यूटन का जड़त्व — हम भी घूम रहे हैं!
न्यूटन का पहला नियम कहता है — “जो वस्तु जिस गति में है, वह तब तक वैसी ही रहेगी जब तक कोई बाहरी बल न लगे।”
धरती के साथ-साथ हम भी उसी गति में हैं।
हम, घर, हवा, समंदर — सब एक साथ दौड़ रहे हैं।
इसलिए हमें कोई गति, कंपन या झटका महसूस नहीं होता।
नियम नंबर 2: ट्रेन में झटका नहीं लगता? धरती भी वही कर रही है
जब आप तेज़ चलती ट्रेन में होते हैं, तो अगर आप खिड़की न देखें, तो लगता है सब स्थिर है।
धरती भी एक विशाल ट्रेन की तरह हमें लिए घूम रही है — बिना आवाज़, बिना हलचल।
नियम नंबर 3: गुरुत्वाकर्षण — अदृश्य सुरक्षा कवच
धरती की घूमने से पैदा होने वाला बाहर की ओर खिंचाव बहुत कम होता है।
👉 जबकि धरती का गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक है कि वो हमें अपनी ओर जकड़े रखता है।
📍 भूमध्य रेखा पर यह फर्क सिर्फ 0.3% होता है — यानी कोई उछाल नहीं, कोई गिरावट नहीं।
अगर धरती घूमना बंद कर दे तो क्या होगा?
- हवाएं दौड़ेंगी 1600 किमी/घंटा की रफ्तार से
- धरती की सतह उड़ने लगेगी — लोग, बिल्डिंगें, समंदर तक
- दिन-रात का संतुलन टूट जाएगा
- चुंबकीय क्षेत्र खत्म हो सकता है — सौर विकिरण से सब कुछ झुलस सकता है
वैज्ञानिक मानते हैं — ये कल्पना है, लेकिन बेहद डरावनी।
अंतरिक्ष में भी रफ्तार है… पर एहसास नहीं
ISS (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है —
वहां बैठे अंतरिक्ष यात्री दिन में 16 बार सूर्योदय देख सकते हैं। उन्हें धरती की गति महसूस नहीं होती — क्योंकि वे भी उसी दिशा में और उसी गति से चल रहे होते हैं पर वहां वे गुरुत्वहीनता में होते हैं — यही फर्क पैदा करता है अंतरिक्ष का एहसास।
कुछ कमाल के विज्ञान तथ्य:
- पृथ्वी 24 घंटे नहीं, 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड में एक चक्कर पूरा करती है (सिडेरियल डे)।
- भूमध्य रेखा पर गति सबसे तेज़ — 1670 किमी/घंटा, ध्रुवों पर लगभग शून्य।
- चंद्रमा पृथ्वी की धुरी को स्थिर बनाए रखता है — वरना मौसम और दिन-रात के चक्र बिगड़ सकते थे।
निष्कर्ष: चलती धरती पर स्थिर हम — यही है विज्ञान की असली जीत
धरती हमें लेकर दौड़ रही है — लेकिन हमने उसकी रफ्तार को महसूस करने की क्षमता खो नहीं दी, बल्कि उसके साथ तालमेल बना लिया है। जब हर कण, हर जीव, हर वायु उसी गति में शामिल हो — तो गति का अनुभव नहीं होता। यही है विज्ञान का अद्भुत संतुलन।
अगली बार जब आप आसमान की ओर देखें…
…तो ज़रा सोचिए — आप एक ऐसी गेंद पर खड़े हैं जो हर पल 1670 किमी/घंटा से घूम रही है, और फिर भी आपको कुछ महसूस नहीं होता , क्योंकि आप उसी रफ्तार का हिस्सा हैं।