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विद्याशंकर मंदिर: ज्योतिषीय विज्ञान और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम

"ज्योतिषीय प्रयोगशाला" के रूप में कार्य करता है विद्याशंकर मंदिर

श्रंगेरी, कर्नाटक के हरे-भरे घाटियों के बीच स्थित विद्याशंकर मंदिर, भारत की उन चुनिंदा धरोहरों में शामिल है जहाँ धर्म, विज्ञान और वास्तुशिल्प का दुर्लभ मेल देखने को मिलता है। यह वैज्ञानिक ज्ञान की उस समृद्ध परंपरा का प्रमाण है, जहाँ धर्म और विज्ञान परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।

विद्याशंकर मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, खगोलशास्त्र, वास्तुशिल्प और वैज्ञानिक सोच का प्रतीक है। यह मंदिर दर्शाता है कि भारतवर्ष ने सदियों पहले भी आकाशीय गणनाओं और ज्योतिष विज्ञान को इतनी सूक्ष्मता से समझा था कि पत्थर भी समय बता सकते थे। इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1338 ईस्वी में आदि शंकराचार्य की परंपरा के द्वितीय जगद्गुरु विद्यारण्य तीर्थ के प्रयासों से हुई थी। इस निर्माण में विजयनगर साम्राज्य के शासकों, विशेषकर हरिहर और बुक्का राय का भी संरक्षण रहा।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विद्याशंकर मंदिर, दरअसल श्री विद्यातीर्थ को समर्पित है, जो श्रंगेरी मठ के एक महान शंकराचार्य थे। यह मंदिर, आदिशंकर की परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए, दक्षिण भारत की होयसला-द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित हुआ।

वैज्ञानिक विशेषताएँ:  जब पत्थर भी समय बताते हैं

मंदिर के मुख्य मंडप में स्थित 12 राशि-स्तंभ (Zodiac Pillars) को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि सूर्य की किरणें सालभर में क्रमशः प्रत्येक स्तंभ पर पड़ती हैं। यह सूर्य की कक्षा और ज्योतिष के गहन ज्ञान का संकेत है।

मंदिर के फर्श पर एक विशेष छाया गणना चक्र उकेरा गया है, जो दिन के समय और मौसम के अनुसार सूर्य की स्थिति बताता है – यह प्राचीन भारतीय सौर घड़ी (संडायल) की अवधारणा का उदाहरण है।

स्थापत्य सौंदर्य की मिसाल

मंदिर के गर्भगृह में मुख्य शिवलिंग ‘विद्याशंकर’ के नाम से स्थापित है, साथ ही गणेश, दुर्गा और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी सम्मिलित हैं। गर्भगृह के चारों ओर स्थापित हैं त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियाँ, जो सनातन सिद्धांतों की प्रतीक हैं।

मंदिर की बाहरी दीवारों पर दशावतार, पुराण कथाएँ, दंतकथाएँ, और ज्योतिषीय प्रतीक अत्यंत बारीकी से उकेरे गए हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ

हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष में श्रद्धालु यहां विद्यातीर्थ रथोत्सव के लिए एकत्र होते हैं।

नवरात्रि, महाशिवरात्रि, और गुरुपूजा उत्सव जैसे पर्वों पर विशेष पूजा और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं।

📍कैसे पहुंचें – श्रृंगेरी विद्याशंकर मंदिर

सड़क मार्ग से :

श्रृंगेरी कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में स्थित है और सड़क मार्ग से यहां पहुंचना बेहद आसान है।

बेंगलुरु से दूरी : लगभग 330 किलोमीटर

मैसूर से दूरी : लगभग 220 किलोमीटर

चिकमंगलूर से दूरी : लगभग 90 किलोमीटर

बेंगलुरु और मैसूर से नियमित बस सेवाएं (केएसआरटीसी) और प्राइवेट टैक्सी आसानी से उपलब्ध।

चिकमंगलूर से प्राइवेट टैक्सी या लोकल बस से भी पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग से :

श्रृंगेरी के लिए कोई सीधी रेलवे लाइन नहीं है, लेकिन नजदीकी बड़े रेलवे स्टेशन इस प्रकार हैं –

ऊडुपी रेलवे स्टेशन : लगभग 90 किलोमीटर

शिवमोग्गा रेलवे स्टेशन : लगभग 115 किलोमीटर

यहां से टैक्सी या बस से श्रृंगेरी आसानी से पहुंच सकते हैं।

हवाई मार्ग से :

सबसे नजदीकी हवाई अड्डे :

मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (IXE) : लगभग 110 किलोमीटर

मैंगलोर से टैक्सी या प्राइवेट बस के जरिए श्रृंगेरी तक पहुंचा जा सकता है।

 

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