
देहरादून/वाराणसी/हरिद्वार (नवोदय ब्यूरो):
श्रावण मास प्रारंभ होते ही पूरे देश में शिवमय माहौल बन गया है। मंदिरों की घंटियों से गूंजता वातावरण, गंगाजल से भरे कांवड़ियों का हुजूम और हर सोमवार को श्रद्धालुओं की लंबी कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि सावन का महीना क्यों हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और विशेष माना जाता है।
🌿 हरियाली और भक्ति का संगम
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन (श्रावण) मास वर्षा ऋतु में आता है, जब धरती हरी चादर ओढ़ती है और वातावरण शुद्ध हो जाता है। इसे चातुर्मास का दूसरा और सबसे धार्मिक मास माना जाता है। मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव सृष्टि पर विशेष कृपा दृष्टि रखते हैं।
🕉️ क्यों होता है सावन में शिव पूजन?
- पार्वती तपस्या और विवाह प्रसंग:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी माह में माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तप किया था। उनके तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस कारण सावन को शिव-पार्वती के मिलन का महीना भी कहा जाता है। - सागर मंथन और नीलकंठ की कथा:
जब सागर मंथन से निकला विष संपूर्ण सृष्टि को संकट में डालने वाला था, तब शिवजी ने उसे पीकर अपने कंठ में धारण कर लिया। यह घटना भी सावन में ही हुई मानी जाती है, इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा बनी जिससे विष का प्रभाव शांत रहे।
📿 श्रद्धा के आयोजन: सावन में खास
- कांवड़ यात्रा:
लाखों शिवभक्त नंगे पांव गंगाजल लेने हरिद्वार, गंगोत्री, देवघर जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं और जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में अभिषेक करते हैं। - श्रावण सोमवार व्रत:
महिलाएं और पुरुष श्रद्धा से सोमवार का व्रत रखते हैं और शिवपुराण का पाठ करते हैं। मान्यता है कि यह व्रत विवाह, संतान और सुख-शांति की कामनाओं को पूरा करता है। - रुद्राभिषेक और जाप:
मंदिरों में प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, शहद और गंगाजल से रुद्राभिषेक किया जा रहा है। महामृत्युंजय मंत्रों की गूंज से वातावरण आध्यात्मिक बन गया है।
🪔 वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास
विशेषज्ञों के अनुसार सावन में उपवास और सात्विक आहार शरीर को मौसमी संक्रमणों से बचाता है। वहीं पर्यावरणीय जागरूकता के तहत पौधरोपण और जल-संरक्षण को बढ़ावा दिया जाता है।
श्रावण मास केवल धार्मिक नहीं, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक शुद्धि का अवसर है। शिवजी के सान्निध्य में भक्तगण प्रेम, तप और भक्ति का अनुपम संगम महसूस करते हैं।